Important Posts

Advertisement

वेतन से लेकर नियुक्ति तक में गड़बड़ी

स्ववित्त पोषित कोर्स में शिक्षकों को उचित मानदेय नहीं मिल पा रहा है। शासनादेश को जारी हुए लगभग दो वर्ष होने जा रहे हैं, लेकिन महाविद्यालयों ने शिक्षकों का डेटा न तो ऑनलाइन किया है और न ही उनके
दस्तावेजों की जांच की है, जिसका नतीजा है कि महाविद्यालय और कॉलेज प्रशासन इसकी आड़ में अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए हैं। वहीं शिक्षक केवल आठ से 10 हजार रुपये पर काम कर रहे हैं।
प्रदेश के कुल 45,00 महाविद्यालयों और राजधानी में 127 महाविद्यालयों में स्व वित्त पोषित कोर्स चल रहे हैं। इसमें शिक्षकों का चयन यूजीसी की गाइड लाइन के आधार पर ही किया जा रहा है, लेकिन प्रबंधन कमेटी की वजह से शिक्षकों का वेतन सभी कॉलेजों में अलग-अलग है।
कई कॉलेजों में पढ़ा रहे एक शिक्षक : उचित वेतन नहीं मिलने की वजह से स्ववित्त पोषित कोर्स में एक शिक्षक एक समय में कई कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। यह पढ़ाई भी कागजों में ही हो रही है। ऑनलाइन रिकार्ड नहीं होने की वजह से इनकी पकड़ नहीं हो पाती।
क्या होना चाहिए नियम : शासनादेश के अनुसार स्ववित्त पोषित शिक्षकों की अलग से नियमावली बनाई जाए। महाविद्यालय, कॉलेज अपनी सकल आय का 75 से 80 प्रतिशत भाग शिक्षकों को दें। यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अनुसार स्ववित्त पोषित शिक्षकों का वेतनमान केंद्रीय, राजकीय विश्वविद्यालयों के समान 15,600 से लेकर 39,000 होना चाहिए। वहीं मंहगाई भत्ता आदि मिलाकर 40 से 45,000 रुपये तक होना चाहिए। अभी तक केवल छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर ने ही शिक्षकों का डेटा ऑनलाइन किया है, लेकिन दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं हो पाया है। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय ने भी अब तक शिक्षकों का डेटा ऑनलाइन नहीं किया है।
स्ववित्त पोषित शिक्षकों के ऑनलाइन डेटा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं, जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
-राम कुमार, कुलसचिव

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UPTET news