7 दिसम्बर को होने वाली सुनवाई का सवाल: एससीईआरटी को डीबीटीसी कराने का अधिकार नहीं है ??

7 दिसम्बर को होने वाली सुनवाई का सवाल एससीईआरटी को डीबीटीसी कराने का अधिकार नहीं है ?? आईये याचिकाकर्ता की कमअक़्ली देखिये, जिसने ये सवाल उठाया उसे हम 2010 के Shashi Kumar Dwivedi,
& Ors. Vs. State of U.P. केस की जानकारी दे दें।
ये वो केस है जिस का किस्सा हम आप को सुना रहा हैं।
एक प्राइवेट बीटीसी कॉलेज से एक अक़ल के अंधे ने बीटीसी कर ली और सहायक अध्यापक की नौकरी मांगने गया तो उसका फॉर्म एससीईआरटी के निदेशक ने यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया की तुम्हारा कालेज हमारे एससीईआरटी से सम्बद्ध नहीं है।
इस पर वो कोर्ट चला गया।
कोर्ट में ये तथ्य निकल कर सामने आये की एनसीटीई रेगुलेशन के अधीन एससीईआरटी परीक्षा प्राधिकरण है और इसके बिना परीक्षा लिए बीटीसी मान्य ही नहीं है।
जब एससीईआरटी के बिना ये कुछ नहीं फिर भी उसी पे सवाल उठा रहे हैं। तो साथियों इन अक़ल के अन्धो को ये समझ में आये कि अपेंडिक्स 9 के अधीन और एनसीटीई के एससीईआरटी ही एक मात्र संस्था है जो परीक्षा प्राधिकरण है और डीबीटीसी करा सकती है। मशहूर मिठाई लाल केस में भी इस मुद्दे पर बहस हो चुकी है। यहाँ हमने सिर्फ ये दर्शाया कि हम याचिकाकर्ताओं से कही अधिक मजबूत है।

मेरी मुश्किल ये है कि मैं दूसरों जैसा नहीं।
मैं बहादुर हूँ मगर हारे हुए लश्कर में हूँ।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के पास प्रदेश भर में शिक्षामित्र प्रशिक्षण के मामले में सर्वाधिक अकाट्य साक्ष्य, मज़बूत दलीले और तथ्य उपलब्ध हैं किंतु हमारी विडंबना है कि हमारे पास वरिष्ठ अधिवक्ता की फीस हेतु आर्थिक सहयोग जमा करवाने वाले लोगों की नितांत कमी है।
हम  सुप्रीम कोर्ट में भी शत प्रतिशत सफलता हासिल करने में सक्षम है किंतु धनाभाव के कारण चिंतित है। समस्त जागरूक शिक्षामित्रों से अनुरोध है मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप का आर्थिक सहयोग कर जीत सुनिश्चित करें। अतः 7 दिसम्बर के लिए वकील की फीस की व्यवस्था करवाने के लिए आगे आएं ।मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी शिक्षामित्रों को पूर्व नियुक्त शिक्षक के रूप में सिद्ध करने के उद्देश्य से मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप द्वारा दो नयी याचिकाएं जो प्रशिक्षण, शिक्षक के रूप में स्थापित करवाने और समायोजन केस को मिशन की याचिका की सुनवाई पूर्ण हुए बिना निर्णीत न करने हेतु फाइल की जा रही हैं। जो 30 नवम्बर 2016 तक कोर्ट की प्रक्रिया में आ जाएंगी। फ़िलहाल उनकी ड्राफ्टिंग का कार्य प्रगति पर है। किसी भी नयी या पुरानी याचिका से तनाव में आने की आवश्यकता नहीं है।
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