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हाईकोर्ट का अहम फैसला, छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति राज्य का परम दायित्व

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक याचिका का निराकरण जनहित याचिका के रूप में करते हुए कहा है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति करना राज्य का परम दायित्व है।
जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं। 33 नंबर पर सुनवाई के लिए नियत इस मामले की सुनवाई का आंखों देखा हाल-
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर पी. सिंह: माय लॉर्ड, सागर जिले की रहली तहसील की शाहपुर नगर परिषद के उच्चतर माध्यमिक स्कूल में 350 छात्रों पर महज दो शिक्षक हैं। कमोबेश यही हालात पूरे प्रदेश के हैं। सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर रही है।
कोर्ट: शासकीय अधिवक्ता महोदय, बताएं क्या किया गया?
सरकार के अघिवक्ता: माय लॉर्ड डीईओ सागर व अन्य स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार उक्त स्कूल में पर्याप्त शिक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।
याचिकाकर्ता के वकील सिंह: माय लॉर्ड, उस स्कूल से याचिकाकर्ता का बालक पास होकर निकल गया है। अब याचिका मूलत: सारहीन हो चुकी है, लिहाजा इसे व्प्यापक जनहित में पूरे प्रदेश के लिए जनहित याचिका मानकर निराकृत किया जाए। सरकार को पूरे प्रदेश के स्कूलों के लिए आदेश दिए जाएं।
कोर्ट: प्रार्थना आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की छात्रों के अनुपात में नियुक्ति करना राज्य का आवश्यक दायित्व है। निर्देश दिए जाते हैं कि सरकार इस संबंध में सभी आवश्यक कदम उठाए।

सागर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार श्रीवास्तव ने 2011 में याचिका दायर की थी। कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में शिक्षा के अधिकार के तहत दी गई गाइडलाइन के मुताबिक सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। छात्रों की संख्या के लिहाज से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से एेसा है। इससे प्रदेश भर में शिक्षण कार्य का स्तर गिरता जा रहा है। इसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है। इस अव्यवस्था को शीघ्र दूर किया जाए, ताकि छात्रों का भविष्य बरबाद होने से बचाया जा सके।
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