कई बार केस की सुनवाई के लिये पर्याप्त समय होने के बाद भी न्यायाधीश सुनवाई में रुचि क्यूँ नहीं लेते?? इतना तय है कि नई सरकार समाजवादियो़ की नहीं होगी

नमस्कार मेरे अचयनित साथियो !!
महीनों इंतजार के बाद 22 फरवरी की सुनवाई पर आस लगाये उत्तर प्रदेश के अचयनित मित्रों को भारतीय उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने जिस तरह गैर-जिम्मेदाराना पूर्ण रवैया अपनाकर लोगों की रोजी-रोटी से जुड़े केस को हवा-हवाई तरीके से उड़ा दिया, उससे वर्षो से न्याय की उम्मीद लगाये बैठे एक आम बेरोजगार को गहरा आघात पहुंचा है।
ये समस्या भारतीय अदालतों की नई नहीं है, कई मुख्य न्यायाधीश और भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री भी इससे परिचित हैं।
यहां प्रश्न यह उठता है कि कई बार केस की सुनवाई के लिये पर्याप्त समय होने के बाद भी न्यायाधीश सुनवाई में रुचि क्यूँ नहीं लेते??
यहां भी कई कारण होते हैं, एक तो कोई न्यायाधीश किसी भी समस्या को जल्दी निपटाना ही नहीं चाहता क्योंकि उनको और केस से जुड़े वकीलों को उक्त केस से होने वाली कमाई पर फर्क पड़ता है।
और सबसे बड़ी समस्या ये है कि जिस भी न्यायाधीश के पास कोई भी केस होता है, वो कभी उस पर व्यक्तिगत स्टडी नहीं करते।
इसका साफ उदाहरण ये है कि हमारे केस का सही कॉन्सेप्ट आज तक मा० दीपक मिश्रा को नहीं पता, तो फिर किसी सुनवाई में अचानक नये न्यायाधीश के शामिल होने पर उस नये न्यायाधीश से आशा ही क्या की जा सकती है?
अब आते हैं कि वर्तमान परिवेश में अब क्या हो सकता है???
तो मित्रो, न्यायालयों में इस तरह सुनवाई की ही तारीख का इंतजार करते-करते तो एक युग बीत जायेगा, अब इससे कहीं आगे बढ़कर बेरोजगारों को एक कदम और उठाना पड़ेगा।
वर्तमान संविधान में न्यायालय से भी बड़ी शक्ति भारत के महामहिम राष्ट्रपति के पास निहित होती है, तो वहां पर अपनी बात सही तरीके से रखी जा सकती है। यहां 'सही तरीके' का मतलब एक 'मान्य प्रोसीजर' से है। जिसके लिये सभी अचयनित और लीडरों को एकजुट होना पड़ेगा और आपसी वैमनस्यता को त्यागकर सर्वहित की बात को सर्वोपरि रखकर कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।
जिसमें यही मांग करनी होगी कि निम्न केस को एक बृहत पीठ बनाकर अतिशीघ्र निबटाया जाये, तभी सभी बेरोजगारों का कल्याण संभव है। अन्यथा कोर्ट की इस शैली से न्याय मिलते-मिलते वर्षो लग जायेंगे और देर से मिला हुआ न्याय किसी काम का नहीं रहता !!!
दोस्तो, वर्तमान समय में कुछ दिनों बाद नई सरकार का गठन होने जा रहा है, और इतना तय है कि नई सरकार समाजवादियो़ की नहीं होगी।
तो मित्रो हमें नई सरकार में अपनी बात साक्ष्यौं और बहुमत के साथ प्रमुखता से रखनी होगी और बार-बार रखनी होगी तथा ऊपर से नीचे तक रखनी होगी, जिससे नई सरकार को पता लग सके कि बी० एड० टीईटी पास योग्य अभ्यर्थी पिछली सरकार में कैसे दर-दर भटकता रहा है।
तो दोस्तो कुछ करना होगा, कुछ कर गुजरना होगा, यह लड़ाई अब टीईटी लीडरों की नहीं है अब हर एक बेरोजगार की है, हमें पेशवाओं की तरह गौरिल्ला युद्ध की नीतियों पर चलना होगा, हमें गुरू गोविंद सिह सी बहादुरी का परिचय देना होगा, हमें भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय, सुभाषचंद्र बोस और सरदार बल्लभ भाई पटेल के आदर्शों पर चलना होगा, तभी हमारी दीत सुनिश्चित है और निश्चित तौर पर हमें हमारी मंजिल मिलेगी और जीत की वरमाला हमारा वरण करेगी...
इन्हीं शब्दों के साथ दोस्तो
जयहिंद, जय भारत !!
आपका शुभाकांक्षी
- नागर
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