शिक्षा मित्रों को स्थगन आदेश मिलने के बाद आज तक इस गम्भीर प्रकरण पर सुनवाई क्यों नहीं हुई ?

मुझे भी बहुत अफसोस है कि आज सुनवाई टली परन्तु क्या किसी ने सोचा कि लगातार 07/12/2015 से शिक्षा मित्रों को स्थगन आदेश मिलने के बाद आज तक इस गम्भीर प्रकरण पर सुनवाई क्यों नहीं हुई।
पिछली एक सुनवाई में आर. एफ. नरीमन को जानबूझकर बेंच में शामिल किया जाता है और फिर नियमतः तकनीकी कारण से उनका विरोध किया जाता है। सुनवाई टल गई फिर 3 महीने के लिए फुर्सत। अचानक तीन जजो की बेंच बैठती है और उस पीठ के नवआगन्तुक जज खानवलेकर केस शुरू होते ही सुनवाई से इंकार कर देते हैं और खुद को पीठ से अलग करते हैं। अमा जब यही करना था तो यहाँ इस केस में शामिल होकर घास छीलने आया था। साथियों जिस प्रकार से हमारा रहन सहन व हमारा जीवन स्तर है, सिर्फ हम वहीं तक सोच सकते हैं। मेरा दृष्टिकोण तो यही कहता है कि हो न हो यह बहुत बङा हाई प्रोफाइल गेम है जो टाप 10 अधिवक्ताओं के द्वारा सेट कर दिया जाता है। आप सभी खुद सोचियें पूरा साल बचाकर इनका पूरा चुनाव पार करवा दिया, मतलब तो यही निकलता है। वैसे न्यायपालिका हो या कार्यपालिका काम उसमे हम जैसे इंसान ही करते हैं। ताजा रिपोर्ट न्यायपालिका के क्रिया कलापों पर अरुणाचल प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री की पत्नी द्वारा पत्र जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय को लिखा गया है और जिसको आज की तारीख में चीफ जस्टिस केहर ने पत्र को स्वीकार करते हुए जाँच के लिए आदेश दिया है। इस प्रकरण में दिवंगत मुख्यमंत्री के सुसाइड नोट व उनकी मौत के जिम्मेदार बङे से बङे राजनेता और देश के तारीख पर तारीख देने वाले न्यायाधीशों का हाथ है। मामला यह है कि किसी केस के मामले में न्यायाधीशों के दलालों के द्वारा मुख्यमंत्री से 86 करोण रुपये रिश्वत माँगी जा रही थी, जिससे केस का आदेश किसी एक पक्ष में करने के लिए कहा गया था।
साथियों एक बात और कहना चाहता हूँ कि मुझको कोई फेसबुकिया नेता मत समझना परमात्मा की कृपा से कुछ ज्ञान मिला है और अब बर्दास्त से बाहर है, एक एक का चेहरा बेनकाब करूँगा। साथियों आपको नियुक्ति दिलाने के लिए मेरे तरकश में भी बहुत से तीर हैं, बस जरूरत है आपके सहयोग समर्पण की, वैसे फिलहाल चिंता मत करें। यदि 11 मार्च को श्री राम की कृपा हो गयी तो बहुत बङा मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। अब समय आ गया है कि शत्रुओं की तरह हम लोग भी राजनैतिक दलों के चहेते बने। न्यायपालिका की उलाहना देने वालों से इतना ही कहूँगा कि कार्यपालिका की ताकत का भी अब तक अंदाजा लगा गया होगा। महाकाल रक्षा करें हम सबका।
आपका शुभ चिंतक अचयनित
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