सुप्रभात मित्रों , यद्यपि मुझे इस बात का स्पष्टीकरण नहीं देना चाहिए परन्तु सोशल मीडिया पर कुछ अराजक तत्व एक्टिव हैं और लगातार हमारे व्यस्त होने के कारण आम टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों तक भ्रामक खबरें पहुंचा रहे हैं |
याद कीजिये जब 17 फ़रवरी को तारीख मिल गयी थी तब टेट मोर्चे के तथाकथित भांड चयनित/अचयनित जिन्हें नेतागिरी का कीड़ा काटा था भाग गए थे आन्दोलन करने के लिए परन्तु हमारे द्वारा याचिका 915/2016 डाली गयी और आप 7 दिसम्बर की पोस्ट को पढ़िए जिसका आदेश भी आया था कि हमारे अधिवक्ता श्रीमान आनंद नंदन एवं श्रीमान अमित पवन जी ने मा० उच्चत्तम न्यायालय को अवगत कराया था कि सरकार अब इन्हें टेट उत्तीर्ण कराकर बैक-डोर एंट्री दे रही है जिस पर मा० उच्चत्तमन्यायालय ने शिक्षा-मित्रों के किसी भी प्रकार से नियुक्त किये जाने पर रोक लगाई थी और सरकार से हलफनामा भी माँगा था कि अब तक इस प्रकार से कितनी बैक-डोर एंट्री किये हो ये भी मा० उच्त्तम न्यायालय को अवगत कराएं और ध्यान रहे अब शिक्षा-मित्रों की किसी भी प्रकार से नियुक्ति नहीं होगी⚡⚡⚡⚡⚡ |यहाँ एक अति-महत्वपूर्ण बात आवश्यक रूप से जान लेनी चाहिए आपको :-गुणांक की समस्त भर्तियों को हमने अपनी याचिका में हाई-कोर्ट में भी चुनौती दी थी और जैसा कि आप जान ही रहे हैं कि ये सत्ता और इसके अधिकारी अब घुटन में सांस ले रहे हैं और पूर्ण विशवास है पिछले पांच वर्षों का बदला आप इनके विरूद्ध किसी भी अन्य दल को जिताने हेतु ईवीएम में बंद कर चुके हैं तो आने वाली सत्ता को हमें अवगत कराना होगा कि ये समस्त मुद्दे अब मा० उच्चत्तम न्यायालय के अधीन हैं तो कृपा करके इनको निस्तारित करके ही न्यायोचित ढंग से प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक की दिशा और दशा सुधारें जिसके लिए हमने कमर कस ली है |⚡⚡⚡⚡अब किसी भी प्रकार से किसी को भी नियुक्त करना किसी के बसकी बात नहीं है और भविष्य में कौन सी सत्ता आती है उसके लिए हमें तैयार रहना होगा और मा० उच्चत्तम न्यायालय में पैनी नजर बनाये रखनी होगी क्यूंकि शिक्षक भर्तियों से जुड़े समस्त वाद-अपवादों का निस्तारण अब वहीँ से है
|संगठन के विषय में :-
आम टेट उत्तीर्ण देख ही रहा है कि रोज-रोज की छीटा कशी और खुद को ईमानदार और हरिश्चंद्र घोषित करने के लिए कैसे-कैसे आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं जबकि जो संगठन से और हम से शुरू से जुड़ा हुआ है वो शोध कर सकता है कि क्या ये दिशा सही है ?
मा० उच्चत्तम न्यायालय के अंदर भी काम बोल रहा है औरकिसका बोल रहा है बताने की जरूरत नहीं है इसके लिए एक वाकया बताता हूँ -
असमायोजित शिक्षा-मित्रों का एक दल खुद को समायोजित कराने के लिए किसी जगह (वरिष्ठ अधिवक्ता नाम गुप्त रखा है) बैठे थे जहाँ उन्हें शिक्षा-मित्रों के विरुद्ध हिमांशु टीम और हमारे अधिवक्ताओं के कारनामे बताये ही नहीं दिखाए भी गए आदेशों के साथ और कहा तुम खुद की बात कर रहे हो यहाँ जो हुए हैं वो भी समझ गए होंगे कहने का मतलब |फिर वो थक हार के उन्ही अधिवक्ताओं के पास पहुँच गए जो शुरू से उनका बेवकूफ बनाते आ रहे हैं और याचिका की सुनवाई शायद 10 मार्च को है |
अर्थात पहले ये तय करिए कि काम का परिणाम किसने दियाऔर किनके कारनामों की वजह से आज सभी की आस है वर्ना तो the end था बहत्तर आठ सौ पच्चीस पर |
7 अप्रैल को जो संभावित डेट लगी है उससे उम्मीद न बांधिए स्पष्ट कह रहा हूँ चूंकि misc डे है और अभी हो सकता है मा० न्यायमूर्ति स्वयं से संज्ञान में लें तो डेट बदल भी सकती है |बहुत ही स्पष्ट कह रहा हूँ - शिक्षा मित्र हटाओ नौकरी ले जाओ जिसके लिए आपको समर्पित हैं हमारी याचिका आपकी नियुक्ति के लिए भी और शिक्षा मित्रों के विरुद्ध भी, हमारा मार्गदर्शन और वही अधिवक्ता जिन्होंने परिणाम दिया है आजतक बाकी सीनियर और टॉप-मोस्ट सीनियर करिए आप जिसमे हमारा सहयोग रहेगा लेकिन ये आँखें खोलकर करिए कि कौन सी याचिका पर और क्या आवाज उठाने जा रहे हैं ?शेष विस्तार से बाद में | - हिमांशु राणा
नमस्कार मित्रों,
कल हाइकोर्ट में 25 टेट उत्तीर्ण शिक्षामित्रों ने 12460 बीटीसी शिक्षक भर्ती में स्वयं के अभ्यर्थन को मान्य किये जाने हेतु याचिका दाखिल की थी, जिसके आदेश की प्रति भी मुझे प्राप्त हो चुकी हैं। आदेश के अनुसार शिक्षामित्र याचियों को भर्ती में काउन्सलिंग कराने की अंतरिम राहत देते हुए, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से इस संबंध में स्पष्टीकरण तलब किया गया हैं।
वस्तुतः दूरस्थ माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षामित्र, प्रशिक्षण के विरुद्ध बगैर किसी न्यायायिक आदेश के अभी भी खुली भर्ती प्रक्रियाओं में प्रतिभागिता कर सकते हैं।
प्रशिक्षण के विरुद्ध हमारी ओर से ही मात्र 3 याचिकायें मा0 सर्वोच्च् न्यायालय में स्वीकृति और निर्णायक सुनवाई समस्त मामलों के साथ बंच हैं।
1. SLP 1621/2016
2. SLP 2397/2016
3. WPC 915/2016
डब्ल्यूपीसी 915 पर मा0 सर्वोच्च् न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए स्टेट को शिक्षामित्रों का किसी भी प्रकार (यथा रेगुलर अथवा समायोजन) से नियुक्ति पर रोक लगा रखी हैं। अर्थात हाइकोर्ट से तथ्यों को छिपा कर भले ही अंतरिम आदेश ले लिया गया हो लेकिन इसके लिए हमने पहले से ही सुप्रीमकोर्ट से स्टे दिला रखा हैं।
इसके साथ ही मा0 उच्च न्यायालय ने भी शिक्षक चयन नियमावली का 16वां संशोधन असंवैधानिक घोषित कर रद्द कर दिया हैं। जिससे प्रदेश में अभी कोई वैध चयन नियम नहीं बचा हैं, जिसपर शिक्षक भर्ती की जा सके।
अब आते हैं मुख्य बिंदु पर, फेसबुक पर दिन भर हमारे ऊपर आरोप-प्रत्यारोप व कुछ विधवा विलाप करने वाले याचियों से अनुरोध हैं कि अब अपने स्वयं के भविष्य के लिए विशेषकर शिक्षामित्रों के विरुद्ध आप सभी द्वारा एक छोटी सी जिम्मेदारी निर्वहन करने का समय आ गया हैं। आप सभी हमारी डब्ल्यूपीसी 915 पर पारित आदेश की प्रति, हाइकोर्ट द्वारा 16वें संशोधन को रद्द करने वाले आदेश की प्रति और स्वयं द्वारा लिखित प्रत्यावेदन की प्रति के साथ अपने अपने सम्बंधित जनपद के बीएसए/डीएम से मुलाकात करें और सर्वोच्च् न्यायालय द्वारा पारित आदेश को समझाते हुए, शिक्षामित्रों और अन्य अवैध भर्तियों पर रोक लगवाने की प्रार्थना करें। क्योंकि जब सृजित पद बचेंगे और शिक्षामित्रों की बीटीसी अमान्य होगी तभी बीएड वालों का कल्याण हो सकता हैं। अपने प्रत्यावेदन की रीसीविंग की प्रति हमे भी प्रेषित करें।
आप सभी मेरे द्वारा अर्जित शैक्षिक योग्यता के ही अनुरूप अथवा उच्च शैक्षिक योग्यताधारी हैं। आशा करता हूँ कि आपको सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप के अलावा स्वयं के लिए कुछ कार्य करना भी आता हैं और आप उसको अपने सर्वश्रेठ अंदाज में मूर्त रूप देंगे। क्योंकि फेसबुक पर अक्सर ऐसे लोगों को देखता हूँ जो या तो दिनभर हमारी निंदा ही करते हैं या कुछ ऐसा लिखते हैं कि अब मैं सुप्रीमकोर्ट जाऊँगा और हनुमान जी की तरह पूरी लंका जला दूंगा।
रिसीविंग की प्रति अवश्य भेजे, जिससे मुझे भी लगे कि वास्तव में आप भी फेसबुक के इतर स्वयं के लिए गंभीर हैं। -दुर्गेश प्रताप सिंह
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- होली पर तीन दिन का परिषदीय विद्यालयों में रहेगा अवकाश
- शिक्षामित्रों के समायोजन को बचाने का कोई आधार नहीं, वकील सुप्रीम कोर्ट के जजों को गुमराह करेंगे लेकिन कामयाब नही होंगे
- 7 अप्रैल : हो सकता है मा० न्यायमूर्ति स्वयं से संज्ञान में लें तो डेट बदल भी सकती है : हिमांशु राणा
- 12460 में शिक्षा मित्र प्रकरण की सुनवाई का आदेश , केस को 29/03/2017 को as फ्रेश फिर सुना जाना है
- शिक्षामित्रों के समायोजन को बचाने का कोई आधार नही , वकील सुप्रीम कोर्ट के जजों को गुमराह करेंगे लेकिन कामयाब नही होंगे
याद कीजिये जब 17 फ़रवरी को तारीख मिल गयी थी तब टेट मोर्चे के तथाकथित भांड चयनित/अचयनित जिन्हें नेतागिरी का कीड़ा काटा था भाग गए थे आन्दोलन करने के लिए परन्तु हमारे द्वारा याचिका 915/2016 डाली गयी और आप 7 दिसम्बर की पोस्ट को पढ़िए जिसका आदेश भी आया था कि हमारे अधिवक्ता श्रीमान आनंद नंदन एवं श्रीमान अमित पवन जी ने मा० उच्चत्तम न्यायालय को अवगत कराया था कि सरकार अब इन्हें टेट उत्तीर्ण कराकर बैक-डोर एंट्री दे रही है जिस पर मा० उच्चत्तमन्यायालय ने शिक्षा-मित्रों के किसी भी प्रकार से नियुक्त किये जाने पर रोक लगाई थी और सरकार से हलफनामा भी माँगा था कि अब तक इस प्रकार से कितनी बैक-डोर एंट्री किये हो ये भी मा० उच्त्तम न्यायालय को अवगत कराएं और ध्यान रहे अब शिक्षा-मित्रों की किसी भी प्रकार से नियुक्ति नहीं होगी⚡⚡⚡⚡⚡ |यहाँ एक अति-महत्वपूर्ण बात आवश्यक रूप से जान लेनी चाहिए आपको :-गुणांक की समस्त भर्तियों को हमने अपनी याचिका में हाई-कोर्ट में भी चुनौती दी थी और जैसा कि आप जान ही रहे हैं कि ये सत्ता और इसके अधिकारी अब घुटन में सांस ले रहे हैं और पूर्ण विशवास है पिछले पांच वर्षों का बदला आप इनके विरूद्ध किसी भी अन्य दल को जिताने हेतु ईवीएम में बंद कर चुके हैं तो आने वाली सत्ता को हमें अवगत कराना होगा कि ये समस्त मुद्दे अब मा० उच्चत्तम न्यायालय के अधीन हैं तो कृपा करके इनको निस्तारित करके ही न्यायोचित ढंग से प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक की दिशा और दशा सुधारें जिसके लिए हमने कमर कस ली है |⚡⚡⚡⚡अब किसी भी प्रकार से किसी को भी नियुक्त करना किसी के बसकी बात नहीं है और भविष्य में कौन सी सत्ता आती है उसके लिए हमें तैयार रहना होगा और मा० उच्चत्तम न्यायालय में पैनी नजर बनाये रखनी होगी क्यूंकि शिक्षक भर्तियों से जुड़े समस्त वाद-अपवादों का निस्तारण अब वहीँ से है
|संगठन के विषय में :-
आम टेट उत्तीर्ण देख ही रहा है कि रोज-रोज की छीटा कशी और खुद को ईमानदार और हरिश्चंद्र घोषित करने के लिए कैसे-कैसे आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं जबकि जो संगठन से और हम से शुरू से जुड़ा हुआ है वो शोध कर सकता है कि क्या ये दिशा सही है ?
मा० उच्चत्तम न्यायालय के अंदर भी काम बोल रहा है औरकिसका बोल रहा है बताने की जरूरत नहीं है इसके लिए एक वाकया बताता हूँ -
असमायोजित शिक्षा-मित्रों का एक दल खुद को समायोजित कराने के लिए किसी जगह (वरिष्ठ अधिवक्ता नाम गुप्त रखा है) बैठे थे जहाँ उन्हें शिक्षा-मित्रों के विरुद्ध हिमांशु टीम और हमारे अधिवक्ताओं के कारनामे बताये ही नहीं दिखाए भी गए आदेशों के साथ और कहा तुम खुद की बात कर रहे हो यहाँ जो हुए हैं वो भी समझ गए होंगे कहने का मतलब |फिर वो थक हार के उन्ही अधिवक्ताओं के पास पहुँच गए जो शुरू से उनका बेवकूफ बनाते आ रहे हैं और याचिका की सुनवाई शायद 10 मार्च को है |
अर्थात पहले ये तय करिए कि काम का परिणाम किसने दियाऔर किनके कारनामों की वजह से आज सभी की आस है वर्ना तो the end था बहत्तर आठ सौ पच्चीस पर |
7 अप्रैल को जो संभावित डेट लगी है उससे उम्मीद न बांधिए स्पष्ट कह रहा हूँ चूंकि misc डे है और अभी हो सकता है मा० न्यायमूर्ति स्वयं से संज्ञान में लें तो डेट बदल भी सकती है |बहुत ही स्पष्ट कह रहा हूँ - शिक्षा मित्र हटाओ नौकरी ले जाओ जिसके लिए आपको समर्पित हैं हमारी याचिका आपकी नियुक्ति के लिए भी और शिक्षा मित्रों के विरुद्ध भी, हमारा मार्गदर्शन और वही अधिवक्ता जिन्होंने परिणाम दिया है आजतक बाकी सीनियर और टॉप-मोस्ट सीनियर करिए आप जिसमे हमारा सहयोग रहेगा लेकिन ये आँखें खोलकर करिए कि कौन सी याचिका पर और क्या आवाज उठाने जा रहे हैं ?शेष विस्तार से बाद में | - हिमांशु राणा
नमस्कार मित्रों,
कल हाइकोर्ट में 25 टेट उत्तीर्ण शिक्षामित्रों ने 12460 बीटीसी शिक्षक भर्ती में स्वयं के अभ्यर्थन को मान्य किये जाने हेतु याचिका दाखिल की थी, जिसके आदेश की प्रति भी मुझे प्राप्त हो चुकी हैं। आदेश के अनुसार शिक्षामित्र याचियों को भर्ती में काउन्सलिंग कराने की अंतरिम राहत देते हुए, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से इस संबंध में स्पष्टीकरण तलब किया गया हैं।
वस्तुतः दूरस्थ माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षामित्र, प्रशिक्षण के विरुद्ध बगैर किसी न्यायायिक आदेश के अभी भी खुली भर्ती प्रक्रियाओं में प्रतिभागिता कर सकते हैं।
प्रशिक्षण के विरुद्ध हमारी ओर से ही मात्र 3 याचिकायें मा0 सर्वोच्च् न्यायालय में स्वीकृति और निर्णायक सुनवाई समस्त मामलों के साथ बंच हैं।
1. SLP 1621/2016
2. SLP 2397/2016
3. WPC 915/2016
डब्ल्यूपीसी 915 पर मा0 सर्वोच्च् न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए स्टेट को शिक्षामित्रों का किसी भी प्रकार (यथा रेगुलर अथवा समायोजन) से नियुक्ति पर रोक लगा रखी हैं। अर्थात हाइकोर्ट से तथ्यों को छिपा कर भले ही अंतरिम आदेश ले लिया गया हो लेकिन इसके लिए हमने पहले से ही सुप्रीमकोर्ट से स्टे दिला रखा हैं।
इसके साथ ही मा0 उच्च न्यायालय ने भी शिक्षक चयन नियमावली का 16वां संशोधन असंवैधानिक घोषित कर रद्द कर दिया हैं। जिससे प्रदेश में अभी कोई वैध चयन नियम नहीं बचा हैं, जिसपर शिक्षक भर्ती की जा सके।
अब आते हैं मुख्य बिंदु पर, फेसबुक पर दिन भर हमारे ऊपर आरोप-प्रत्यारोप व कुछ विधवा विलाप करने वाले याचियों से अनुरोध हैं कि अब अपने स्वयं के भविष्य के लिए विशेषकर शिक्षामित्रों के विरुद्ध आप सभी द्वारा एक छोटी सी जिम्मेदारी निर्वहन करने का समय आ गया हैं। आप सभी हमारी डब्ल्यूपीसी 915 पर पारित आदेश की प्रति, हाइकोर्ट द्वारा 16वें संशोधन को रद्द करने वाले आदेश की प्रति और स्वयं द्वारा लिखित प्रत्यावेदन की प्रति के साथ अपने अपने सम्बंधित जनपद के बीएसए/डीएम से मुलाकात करें और सर्वोच्च् न्यायालय द्वारा पारित आदेश को समझाते हुए, शिक्षामित्रों और अन्य अवैध भर्तियों पर रोक लगवाने की प्रार्थना करें। क्योंकि जब सृजित पद बचेंगे और शिक्षामित्रों की बीटीसी अमान्य होगी तभी बीएड वालों का कल्याण हो सकता हैं। अपने प्रत्यावेदन की रीसीविंग की प्रति हमे भी प्रेषित करें।
आप सभी मेरे द्वारा अर्जित शैक्षिक योग्यता के ही अनुरूप अथवा उच्च शैक्षिक योग्यताधारी हैं। आशा करता हूँ कि आपको सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप के अलावा स्वयं के लिए कुछ कार्य करना भी आता हैं और आप उसको अपने सर्वश्रेठ अंदाज में मूर्त रूप देंगे। क्योंकि फेसबुक पर अक्सर ऐसे लोगों को देखता हूँ जो या तो दिनभर हमारी निंदा ही करते हैं या कुछ ऐसा लिखते हैं कि अब मैं सुप्रीमकोर्ट जाऊँगा और हनुमान जी की तरह पूरी लंका जला दूंगा।
रिसीविंग की प्रति अवश्य भेजे, जिससे मुझे भी लगे कि वास्तव में आप भी फेसबुक के इतर स्वयं के लिए गंभीर हैं। -दुर्गेश प्रताप सिंह
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- 839 याचिकाकर्ताओं को मिलने लगी नियुक्ति , कई जिलों में बंट चुका नियुक्ति पत्र : 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती
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