यदि शर्म बची हो तो नौकरी के लिए लड़ो कुत्तों की तरह फेसबुक पर मत लड़ों।।।।।

एक आम याची की मार्मिक अपील जो बार बार हमारे पास आ रही है-----------
यदि शर्म बची हो तो नौकरी के लिए लड़ो कुत्तों की तरह फेसबुक पर मत लड़ों।।।।।
आज यह कहने में कोई गुरेज नहीं संघर्ष 7/12/2015 तक बहुत सार्थक था , उसके बाद सिर्फ सेल्फिबाजी व मै मै की काल्पनिक परिकल्पना.......

समझ जाओ तो ठीक नहीं तो समझा देंगे आम याची।।।
"""नौकरी से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं,
"""नेतागिरी अब और मंजूर नहीं।।।।।।।
मुख्य बिंदु केस को निर्णीत करना है , जिससे सभी याचियों का भला हो न की नेतागिरी , महत्वकांक्षा व अपने बेहरुपीये चहरे को चमकाने है।।।।।
शेष जल्द !!!!!!उसके पहले एक अंतिम अवसर!!!!!
सिर्फ केस को अंतिम रूप देने हेतु प्रयासरत आपका
शिवम् पांडेय
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