सुप्रीम कोर्ट से आयोग को राहत, हाईकोर्ट ने पीसीएस प्री 2016 का नये सिरे से परिणाम घोषित करने का दिया था आदेश

इलाहाबाद उप्र लोकसेवा आयोग को सुप्रीम कोर्ट से फिर फौरी राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने पीसीएस प्री 2016 का संशोधित परीक्षा परिणाम जारी करने का आयोग को निर्देश दिया था। उस पर शीर्ष कोर्ट ने स्थगनादेश जारी कर दिया है। इसके पहले शीर्ष कोर्ट ने कृषि तकनीकी सहायक 2013 मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश जारी किया था।
उप्र लोकसेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं की तकदीर इधर न्यायालय के जरिए ही तय हो रही है। लगभग हर भर्ती परीक्षा को कोर्ट में चुनौती दी जा रही है। उसी सिलसिले में पीसीएस प्री 2016 में भी आयोग को फौरी राहत मिली है। बीते नौ दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने सुनील कुमार सिंह व अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पीसीएस प्री 2016 का संशोधित परीक्षा परिणाम जारी करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित न हुआ हो तो तब तक परिणाम घोषित न किया जाए जब तक पुनमरूल्यांकन में घोषित परिणाम में सफल अभ्यर्थियों की मुख्य परीक्षा न करा ली जाए। यदि मुख्य परीक्षा परिणाम घोषित हो चुका हो तो परिणाम के आधार पर कोई कार्यवाही तब तक न की जाए जब तक प्री. परीक्षा के पुनमरूल्यांकन में सफल अभ्यर्थियों की मुख्य परीक्षा का परिणाम भी घोषित न हो जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि प्री. परीक्षा के नए सिरे से घोषित परिणाम में पूर्व में ली गई मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थी असफल घोषित हो गए हो तो उन्हें चयन सूची से बाहर कर दिया जाए। उसके बाद दोनों घोषित परिणामों के सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लेकर अंतिम चयन सूची तैयार की जाए। 1यही नहीं कोर्ट ने प्री. परीक्षा में गलत उत्तर विकल्पों वाले प्रश्न 25, 66 व 92 को हटाकर तथा प्रश्न 44 में विकल्प बी व सी भरने वाले अभ्यर्थियों को पूरा अंक देते हुए नए सिरे से परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया। परीक्षा में सवालों के गलत उत्तर विकल्प मामले में आयोग को भविष्य में अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा था कि कई परीक्षाओं के गलत उत्तर विकल्प को लेकर याचिकाएं कोर्ट में आईं जिससे आयोग के विशेषज्ञों की योग्यता पर सवाल उठे। कोर्ट ने कहा है कि आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत किया गया है। लोग कड़ी मेहनत कर परीक्षा में बैठते हैं। गलत प्रश्नोत्तर की वजह से प्रतियोगियों के भाग्य प्रभावित हो रहे हैं। गलत प्रश्नों की वजह से वे सही प्रश्नोत्तरी तक नहीं पहुंच पाते। परीक्षा नियंत्रक योग्य लोगों के पैनल से प्रश्नों का निर्धारण करे।

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