सातवें वेतनमान पर लगी मुहर, 17990 रुपए होगी Minimum salary: बिहार

केंद्र के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप ही राज्यकर्मियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। सैलरी में 18 से 20% वृद्धि संभव है। केंद्रीय वेतन आयोग के फार्मूले के आधार पर ही सैलरी तय होगी।
सातवें वेतन आयोग ने पे-बैंड और ग्रेड-पे के जोड़ में 2.57 गुना वृद्धि की है। लिहाजा जो कर्मी जिस पे-बैण्ड में आता हो, उसके मूल वेतन की गणना निर्धारित फार्मूले से की जाएगी। हालांकि इसमें राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले 132 फीसदी महंगाई भत्ते को नहीं जोड़ा जाएगा। इस तरह सातवें वेतनमान के अनुरूप राज्यकर्मियों का न्यूनतम मूल वेतन 17990 रुपए होने की उम्मीद है।


नए वेतनमान के बाद खजाने पर सालाना 5,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। अभी राज्य में करीब 4.50 लाख कार्यरत कर्मचारी और 3.50 लाख पेंशनर हैं। तीन सदस्यीय वेतन आयोग के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव जीएस कंग, इसके सदस्य सचिव वित्त (व्यय) राहुल सिंह और सचिव ग्रामीण कार्य विनय कुमार हैं। मौके पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, प्रधान सचिव वित्त रवि मित्तल, प्रधान सचिव शिक्षा आरके महाजन, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव वित्त (व्यय) राहुल सिंह, सचिव ग्रामीण कार्य विनय कुमार, सचिव शिक्षा जीतेन्द्र श्रीवास्तव उपस्थित थे।

किसी कर्मचारी के पे-बैंड और ग्रेड पे के जोड़ में 2.57 से गुना करने से जो राशि होगी, वहीं राज्यकर्मियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी होगी। इसे इस तरह समझा जा सकता है- छठे वेतन आयोग के अनुसार राज्य में 5200-20200 का पहला पे-बैंड है। जबकि इस श्रेणी के लिए 1800 रुपए ग्रेड पे निर्धारित है। यानी 5200+1800=7000 गुना 2.57 =17990 रुपए।
अगर सरकार कंग समिति की रिपोर्ट को मानती है जो राज्य कर्मियों का न्यूनतम मूल वेतन 17990 रु. होगा। इसमें एचआरए व परिवहन भत्ता भी जुटेगा। आगे महंगाई भत्ता भी जुटता जाएगा।
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