17 को कोर्ट के सामने दो मुददे होगे , क्या राज्य सरकारे मनमाने नियम बना सकती है ???

Jrt स्पेसल -------)
मित्रो बेसिक education के इतिहास मे 17 को वो पल आने वाला है जो teacher recurment मे इतिहास बना़येगा.कोर्ट के सामने दो मुददे होगे .
1- क्या ऐकेडमिक मैरिट से समानता के अधिकार का हनन होता है ???
2- क्या राज्य सरकारे मनमाने नियम बना सकती है ???
सर्वप्रथम अगर ऐकेडमिक मैरिट की बात करे तो 14 से 16 जजो ने इसे समानता के अधिकार ( article 14)का उल्लघंन माना है इसका सीधा उदाहरण इस समय चल रही कोर्ट मे tripal तलाक के सुनवायी मे देखा जा सकता है
राज्य सरकार के अधिकार पर भी संविधानिक मानक लागु होगा .सरकारे अपने अधिकार की आड़ मे असंवैधानिक नियम नही बना पायेगी .
गुणवत्तायुक्त education से कोर्ट कोई समझौता कभी नही करेगी जो बच्चो के मूल अधिकारो मे शामिल है .जबकी RTE act लागू है
अब आगे अगर कोर्ट थोड़ा भी रहम करेगी (Ncte के 9B के अस्पस्ट और. सन्देहपुर्ण नियम के कारण)तो जितने लोग याची के रुप मे कोर्ट मे है सबको याची लाभ देना होगा .
अन्त मे फिर वही बात आयेगी या तो १ लाख बाहर होगे या याची लाभ देकर मामले को खत्म करना होगा और आगे के लिए सर्वसम्मत मानक बनाना होगा.
Jrt मे tet marit और याची लाभ के लिए योगेन्द्र यादव जी का कार्य सराहनीय है जो tet marit एवम tet वेटेज के समर्थन मे एकल पीठ ,खडं पीठ से जीत चुके है
अब अन्तिम लड़ाई मे जो बनधु tet marit या याची लाभ का समर्थन करते है उन्हे भरपूर सहयोग करना चाहिये क्योकि ये लड़ाई आपकी भी है
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines