इलाहाबाद। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पौने दो लाख शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाये जाने के मामले में अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्टसे मंगलवार को आने की संभावना है।इसकी तैयारियों को लेकर शिक्षा विभाग एवं प्रदेश सरकार लग गयी है।वहीं शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बने लोग भी परेशान है कि कोर्टसे क्या और कैसा आदेश आयेगा।मामले को लेकर कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी है।
सहायक अध्यापक पदों पर शिक्षामित्रों की नियुक्ति को लेकर शुरू होने जा रही रणनीति
बड़ी संख्या में बीएड, बीटीसी व शिक्षामित्र पहुंच रहे दिल्ली
बीएड-बीटीसी मोर्चा ने प्रदेश के पौने दो लाख शिक्षामित्रों को नियम-कानून ताक पर रखकर परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनाये जाने के हाईकोर्टइलाहाबाद के मामले को लेकर अब नयी रणनीति बना रहा है।वह अब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी, प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद शासन को शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाये जाने के मामले में कोर्ट में पार्टी बनाने जा रहा है। बीएड, टीईटी अभ्यर्थियों का कहना है जिस तरह से हरियाणा में वहां के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने भर्ती के दौरान व्यापक स्तर पर गड़बड़ी किया था ठीक उसी तर्ज पर शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाये जाने के मामले में होना चाहिए कि किस तरह से उनको सहायक अध्यापक बनाया गया और उनको बचाने के लिए पब्लिक के दिये गये टैक्स के पैसे को पानी की तरह अधिवक्ताओं और शिक्षा विभाग के अफसरों पर बहाया गया है। इस मामले में इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करके कार्रवाई शुरू की जाये एवं पब्लिक के टैक्स के खर्च पैसे की वसूली हो।
*शिक्षा विभाग के अफसरों की भी फूल रही है सांस*
इलाहाबाद। बेसिक शिक्षा परिषद के अफसरों एंव पूर्ववर्तीसपा सरकार में तैनात शिक्षा विभाग के अफसरों की भी सांस फू ल रही है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पौने दो लाख शिक्षामित्रों के मामले में क्या फैसला आने जा रहा है।यह अफसर भी पूरी तरह से निराश हो गये है कि उनके पक्ष में फैसला आने की संभावना नही है।वह लोग मनवीय दृष्टिकोण को अब अपना अंतिम हथियार बना रहे है जबकि नियम विरुद्ध शिक्षक भर्ती को लेकर कोईभी शिक्षा विभाग का अफसर अब आगे नहीं आ रहा है। शिक्षा विभाग के अफसरों को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट मानवीय आधार पर शिक्षामित्रों की संख्या को देखते हुए उनको मानदेय पर रख सकता है लेकिन वह हाईकोर्ट इलाहाबाद के चीफ जस्टिस और फुल बेंच द्वारा दिये गये फैसले को पलट नहीं सकता है। वही यूपी के शिक्षामित्र पूरी तरह से परेशान है। और केन्द्र व राज्य सरकार से भविष्य को सुरक्षित कराने की गुहार कर रहे है! उनका कहना है इसमे हमारी क्या गलती हमे पूर्व सरकार द्वारा दूरस्थ बीटीसी के बाद किस नियम के तहत अध्यापक बनाया गया उसकी सजा हमे क्यो दी जा रही, जिसने गलती की उसे सजा कोर्ट दे!
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- 17 मई सुनवाई सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश क्या होगा यह समझाने की आवश्यकता नही : मयंक तिवारी
- 17 मई को शिक्षामित्रों की जीत 100% तय: मिशन सुप्रीम कोर्ट जीत की ओर अग्रसर
- Shikshamitra: धैर्य रखें शिक्षामित्र. नहीं लागू होने दिया जाएगा टीईटी: सुप्रीमकोर्ट कोर्ट में जीत निश्चित
- सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हीरेन पी रावल जी की बहस के बाद शिक्षामित्रों का समायोजन यहाँ से भी निरस्त होने तय
- शिक्षामित्र मैटर पर भी सुनवाई पूर्ण है और 17 मई को एक आध लोगों द्वारा बस रिटेन सबमिशन फाइल किया जाना शेष है
- गर्मी के तेज तेवरों से 12वीं तक के सभी स्कूल बंद, गर्मी को देखते हुए पहले करनी पड़ी छुट्टियाँ
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बीएड-बीटीसी मोर्चा ने प्रदेश के पौने दो लाख शिक्षामित्रों को नियम-कानून ताक पर रखकर परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनाये जाने के हाईकोर्टइलाहाबाद के मामले को लेकर अब नयी रणनीति बना रहा है।वह अब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी, प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद शासन को शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाये जाने के मामले में कोर्ट में पार्टी बनाने जा रहा है। बीएड, टीईटी अभ्यर्थियों का कहना है जिस तरह से हरियाणा में वहां के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने भर्ती के दौरान व्यापक स्तर पर गड़बड़ी किया था ठीक उसी तर्ज पर शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाये जाने के मामले में होना चाहिए कि किस तरह से उनको सहायक अध्यापक बनाया गया और उनको बचाने के लिए पब्लिक के दिये गये टैक्स के पैसे को पानी की तरह अधिवक्ताओं और शिक्षा विभाग के अफसरों पर बहाया गया है। इस मामले में इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करके कार्रवाई शुरू की जाये एवं पब्लिक के टैक्स के खर्च पैसे की वसूली हो।
*शिक्षा विभाग के अफसरों की भी फूल रही है सांस*
इलाहाबाद। बेसिक शिक्षा परिषद के अफसरों एंव पूर्ववर्तीसपा सरकार में तैनात शिक्षा विभाग के अफसरों की भी सांस फू ल रही है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पौने दो लाख शिक्षामित्रों के मामले में क्या फैसला आने जा रहा है।यह अफसर भी पूरी तरह से निराश हो गये है कि उनके पक्ष में फैसला आने की संभावना नही है।वह लोग मनवीय दृष्टिकोण को अब अपना अंतिम हथियार बना रहे है जबकि नियम विरुद्ध शिक्षक भर्ती को लेकर कोईभी शिक्षा विभाग का अफसर अब आगे नहीं आ रहा है। शिक्षा विभाग के अफसरों को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट मानवीय आधार पर शिक्षामित्रों की संख्या को देखते हुए उनको मानदेय पर रख सकता है लेकिन वह हाईकोर्ट इलाहाबाद के चीफ जस्टिस और फुल बेंच द्वारा दिये गये फैसले को पलट नहीं सकता है। वही यूपी के शिक्षामित्र पूरी तरह से परेशान है। और केन्द्र व राज्य सरकार से भविष्य को सुरक्षित कराने की गुहार कर रहे है! उनका कहना है इसमे हमारी क्या गलती हमे पूर्व सरकार द्वारा दूरस्थ बीटीसी के बाद किस नियम के तहत अध्यापक बनाया गया उसकी सजा हमे क्यो दी जा रही, जिसने गलती की उसे सजा कोर्ट दे!
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