जागरण संवाददाता, आगरा: प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में सरकार नई
व्यवस्थाएं लागू करने में जुटी है, लेकिन व्याप्त अव्यवस्थाओं में सुधार
के लिए कार्य नहीं किए जा रहे।
खास तौर से जिनसे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। आलम यह है कि जिले के अधिकांश उच्च प्राथमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालयों में हेडमास्टर तक नहीं है। सहायक शिक्षकों को ही इंचार्ज बना दिया गया है, ये इंचार्ज की भूमिका में रहकर विकास खंड और जिला मुख्यालय स्थित कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं। नतीजा शिक्षण कार्य पर फोकस नहीं रहता है।
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के 2086 प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से महज 1084 विद्यालयों में हेडमास्टर तैनात हैं। शेष विद्यालय सहायक शिक्षकों के हवाले हैं। इधर, जिले में 871 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, इनमें से महज 65 स्कूलों में हेडमास्टर तैनात हैं। शेष स्कूलों में सहायक अध्यापक को हेड बनाया हुआ है। सहायक अध्यापकों को इंचार्ज बनाए जाने से अव्यवस्था फैली रहती है। जो शिक्षक उसके अधीनस्थ होता है, वह समकक्ष होने के कारण उसके आदेशों को गंभीरता से नहीं लेता। सहायक अध्यापकों को हेडमास्टर का चार्ज देना विभागीय अफसरों की मजबूरी है। कारण वरिष्ठता के आधार को लेकर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। कोर्ट को तय करना है कि वरिष्ठता का आधार नियुक्ति तिथि हो या फिर पदोन्नति तिथि।
कानूनी बाधा के चलते तमाम स्कूलों में सहायक अध्यापकों को ही इंचार्ज बनाया गया है।
गिर्जेश चौधरी, सहायक निदेशक
जिले में 400 एकल विद्यालय
जनपद में परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का क्या हाल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में 400 एकल विद्यालय हैं। इनमें एक-एक ही शिक्षक तैनात है। ये शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कार्यो के अलावा विभागीय कार्यो को भी करते हैं। गैर शैक्षणिक कार्य में जनसंख्या गणना, चुनाव सर्वे, मतदाता सूची व अन्य कार्यो के दौरान इन विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
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खास तौर से जिनसे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। आलम यह है कि जिले के अधिकांश उच्च प्राथमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालयों में हेडमास्टर तक नहीं है। सहायक शिक्षकों को ही इंचार्ज बना दिया गया है, ये इंचार्ज की भूमिका में रहकर विकास खंड और जिला मुख्यालय स्थित कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं। नतीजा शिक्षण कार्य पर फोकस नहीं रहता है।
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के 2086 प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से महज 1084 विद्यालयों में हेडमास्टर तैनात हैं। शेष विद्यालय सहायक शिक्षकों के हवाले हैं। इधर, जिले में 871 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, इनमें से महज 65 स्कूलों में हेडमास्टर तैनात हैं। शेष स्कूलों में सहायक अध्यापक को हेड बनाया हुआ है। सहायक अध्यापकों को इंचार्ज बनाए जाने से अव्यवस्था फैली रहती है। जो शिक्षक उसके अधीनस्थ होता है, वह समकक्ष होने के कारण उसके आदेशों को गंभीरता से नहीं लेता। सहायक अध्यापकों को हेडमास्टर का चार्ज देना विभागीय अफसरों की मजबूरी है। कारण वरिष्ठता के आधार को लेकर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। कोर्ट को तय करना है कि वरिष्ठता का आधार नियुक्ति तिथि हो या फिर पदोन्नति तिथि।
कानूनी बाधा के चलते तमाम स्कूलों में सहायक अध्यापकों को ही इंचार्ज बनाया गया है।
गिर्जेश चौधरी, सहायक निदेशक
जिले में 400 एकल विद्यालय
जनपद में परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का क्या हाल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में 400 एकल विद्यालय हैं। इनमें एक-एक ही शिक्षक तैनात है। ये शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कार्यो के अलावा विभागीय कार्यो को भी करते हैं। गैर शैक्षणिक कार्य में जनसंख्या गणना, चुनाव सर्वे, मतदाता सूची व अन्य कार्यो के दौरान इन विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
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