बलिया(ब्यूरो)- परिषदीय शिक्षकों के तबादले व समायोजन
को लेकर जारी हो रहे शासनादेश से अधिकारी तो ऊहापोह में है ही, शिक्षक भी
असमंजसता की दौर से गुजर रहे है।
कई जिलो में अभी तक आवेदन भी शुरू नहीं हो सका है, जबकि आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून ही बताई गयी थी।
बेसिक शिक्षा परिषद के पांच लाख से अधिक शिक्षकों का समायोजन, जिले के अंदर स्थानांतरण व दूसरे जिले में तबादले के लिए पिछले वर्ष की तरह ही ऑनलाइन आवेदन इस बार भी लिए जाने हैं। दोनों वर्ष की प्रक्रिया में सबसे बड़ा अंतर सॉफ्टवेयर का है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक विभाग ने इस तरह का सॉफ्टवेयर तैयार कराया है, जिसमें हेराफेरी की गुंजाइश न के बराबर है। इसमें सब कुछ शिक्षकों के ही हाथ में है। अफसरों को केवल मॉनीटरिंग का जिम्मा दिया गया है। शिक्षकों के अप्रैल माह की सैलरी डाटा अपलोड करना, सभी शिक्षकों की सेवा पुस्तिका की जरूरी सूचनाएं अपडेट करना और अतिरिक्त विद्यालय के शिक्षकों ने अपने समायोजन के लिए आवेदन किया गया है या नहीं ? कई जिलों में समायोजन की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है, जो 30 जून तक चलती रहेगी। लेकिन अधिकतर जिलों में अभी शिक्षकों की सूचनाएं सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जा रही हैं। इसके चलते यह प्रक्रिया जुलाई में ही पूरी होने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि सॉफ्टवेयर में शिक्षक जैसे ही संबंधित सूचनाएं दर्ज करेंगे, उसी के सापेक्ष उन्हें अंक मिलेंगे। मसलन जितने वर्ष की कुल सेवा है यह दर्ज करते ही उतने अंक उन्हें हासिल होंगे, महिला शिक्षिका है तो पांच अंक अलग से मिलेंगे, दिव्यांग को पांच अंक और असाध्य रोगी शिक्षक को भी पांच अंक मिलेंगे। यह अंक ही शिक्षक के समायोजन, स्थानांतरण और गैर जिले में तबादले का बेस होगा। शिक्षकों के तबादले में अफसर चहेतों को लाभ पहुंचाने का खेल नहीं कर सकेंगे। तबादले का आधार, तैयार किया गया सॉफ्टवेयर होगा। उसमें शिक्षक को मिले अंकों के आधार पर ही फेरबदल होगा। इसमें हेराफेरी करने पर संबंधित जिले के अफसर की सूचना बिना शिकायत ही वरिष्ठ अफसरों तक पहुंच जाएगी।
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कई जिलो में अभी तक आवेदन भी शुरू नहीं हो सका है, जबकि आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून ही बताई गयी थी।
बेसिक शिक्षा परिषद के पांच लाख से अधिक शिक्षकों का समायोजन, जिले के अंदर स्थानांतरण व दूसरे जिले में तबादले के लिए पिछले वर्ष की तरह ही ऑनलाइन आवेदन इस बार भी लिए जाने हैं। दोनों वर्ष की प्रक्रिया में सबसे बड़ा अंतर सॉफ्टवेयर का है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक विभाग ने इस तरह का सॉफ्टवेयर तैयार कराया है, जिसमें हेराफेरी की गुंजाइश न के बराबर है। इसमें सब कुछ शिक्षकों के ही हाथ में है। अफसरों को केवल मॉनीटरिंग का जिम्मा दिया गया है। शिक्षकों के अप्रैल माह की सैलरी डाटा अपलोड करना, सभी शिक्षकों की सेवा पुस्तिका की जरूरी सूचनाएं अपडेट करना और अतिरिक्त विद्यालय के शिक्षकों ने अपने समायोजन के लिए आवेदन किया गया है या नहीं ? कई जिलों में समायोजन की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है, जो 30 जून तक चलती रहेगी। लेकिन अधिकतर जिलों में अभी शिक्षकों की सूचनाएं सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जा रही हैं। इसके चलते यह प्रक्रिया जुलाई में ही पूरी होने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि सॉफ्टवेयर में शिक्षक जैसे ही संबंधित सूचनाएं दर्ज करेंगे, उसी के सापेक्ष उन्हें अंक मिलेंगे। मसलन जितने वर्ष की कुल सेवा है यह दर्ज करते ही उतने अंक उन्हें हासिल होंगे, महिला शिक्षिका है तो पांच अंक अलग से मिलेंगे, दिव्यांग को पांच अंक और असाध्य रोगी शिक्षक को भी पांच अंक मिलेंगे। यह अंक ही शिक्षक के समायोजन, स्थानांतरण और गैर जिले में तबादले का बेस होगा। शिक्षकों के तबादले में अफसर चहेतों को लाभ पहुंचाने का खेल नहीं कर सकेंगे। तबादले का आधार, तैयार किया गया सॉफ्टवेयर होगा। उसमें शिक्षक को मिले अंकों के आधार पर ही फेरबदल होगा। इसमें हेराफेरी करने पर संबंधित जिले के अफसर की सूचना बिना शिकायत ही वरिष्ठ अफसरों तक पहुंच जाएगी।
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