परिषदीय स्कूलों में शिक्षक ‘प्लस’ किसने किए

हिन्दुस्तान टीमपिछले एक पखवारे से सरप्लस शिक्षक खोजने की जद्दोजहद आंकड़े मिलने के बाद समाप्त हो गई है। 900 से अधिक सरप्लस शिक्षक मिलने के बाद शिक्षक जगत में कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
अहम सवाल यह है कि स्कूलों में बच्चों के साथ भावनात्मक लगाव की जमीन तैयार कर रहे सरप्लस शिक्षकों को आखिर स्कूलों में तैनाती किसने दी? शक्षकों ने प्रभाव, दबाव या यूं कहें कि जुगाड़ से ही कैसे स्कूलों में तैनाती पाई? ऐसे में कहा जा रहा है कि अब सरप्लस शिक्षक का दर्जा पाने के बाद दूसरे स्कूलांे की ओर रवाना किया जाएगा। हालांकि तबादला एवं समायोजन नीति के मुताबिक इन सरप्लस शिक्षकों को यथासंभव उसी ब्लॉक के स्कूलों में तैनाती दी जानी है लेकिन यह स्कूलों में रिक्त पदों की मौजूद्गी पर ही संभव होगा। रिक्त पद नहीं होने पर इन्हें दूसरे ब्लॉकों में भी तैनात किया जा सकता है। महिला, बीमार एवं विकलांग शिक्षकों को विशेष सहूलियत दी जा सकती है। समायोजन नीति का अध्ययन कर रहे सरप्लस शिक्षकों का तर्क है कि उन्हें स्कूलों में तैनाती देते वक्त ध्यान क्यों नहीं रखा गया। जब वह बच्चों के साथ तारतम्य बिठाकर भावनात्मक लगाव विकसित कर पढ़ाई का माहौल बना रहे थे, उसी समय समायोजन की गाज गिराने की तैयारी कर ली गई। यह भी कहा जा रहा है कि अप्रैल की छात्र संख्या के अनुसार समायोजन न्यायसंगत नहीं है। अप्रैल से अब तक स्कूलों में दाखिला प्र्रक्रिया जारी है। संभावना जताई जा रही है कि कुछ सरप्लस शिक्षक तो मानकपूर्ण छात्र शिक्षक अनुपात के दायरे में आ गए होंगे। इसके बावजूद उन पर समायोजन की गाज गिरेगी।
शिक्षामत्रिों के समायोजन में मिली थी तैनाती
शिक्षामित्रों के प्राथमिक स्कूलों में दो चरणों के समायोजन के दौरान सैकड़ों स्कूलों में तैनाती दी गई थी। उस समय छात्र शिक्षक अनुपात पर इतना अधिक ध्यान नहीं दिया गया था, जितना अब दिया जा रहा है। सैकड़ों शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए पीटीआर को अनदेखा करने की खबरें सामने आई थीं। अब इनमे से कई समायोजित शिक्षक सरप्लस होने के दायरे में आ रहे हैं। इसके अलावा कई शिक्षकों ने प्रभाव व जुगाड़ के जरिए मनमाफिक स्कूलों में तैनाती पाई थी।

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