जानिए, आखिरकार क्‍यों लाखों शिक्षकों की नौकरी पर अब लटक रही तलवार

नई दिल्‍ली, जेएनएन। टीचर्स जिनके पास उचित योग्यता नहीं है, उनकी उल्‍टी गिनती शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को बताया कि देश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के 8.5 लाख शिक्षकों को बीएड की योग्यता हासिल करने का आखिरी मौका दिया गया है।
31 मार्च 2019 तक बीएड की डिग्री हासिल नहीं करने पर बिना बीएड डिग्री के स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
सदन में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) बिल 2017 पर चर्चा के दौरान यह जानकारी साझा की है। उन्‍होंने शुक्रवार को लोकसभा में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस समय प्राइवेट स्कूलों में करीब 5.5 लाख और सरकारी स्कूलों में 2.5 शिक्षक जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं। गैर-प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाना बहुत नुकसानदायक है। ऐसे में 2019 तक सभी कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य न्यूनतम योग्यता हासिल करनी होगी।

जावड़ेकर ने बताया कि जब साल 2010 में साइट टू एजुकेशन कानून बना, तब काफी नए स्‍कूल बनाए गए। लेकिन इन स्‍कूलों के लिए न्‍यूनतम योग्‍यता वाले टीचर्स उपलब्‍ध नहीं थे। ऐसे में अयोग्‍य टीचर्स, जो सिर्फ ग्रेजुएट थे उन्‍हें भर्ती कर लिया गया था। लेकिन तब उन्‍हें न्‍यूनतम योग्‍यता हासिल करने के लिए पांच साल का समय दिया गया था। लेकिन इस अवधि के खत्‍म होने के बाद भी लगभग 8 लाख टीचर्स ऐसे में जिनके पास न्‍यूनतम योग्‍यता नहीं है। लेकिन अब ऐसे टीचर्स के लिए उल्‍टी गिनती शुरू हो गई है, जिनके पास न्‍यूनतम योग्‍यता नहीं हैं।
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