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परिषदीय विद्यालयों में सत्र परीक्षा पर भी संकट,अगस्त में होती है 10 नंबर की सत्र परीक्षा, शिक्षामित्रों के न आने से परीक्षाएं बाधित

इलाहाबाद। शिक्षामित्रों के न आने से परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य काफी हद तक प्रभावित है। इसका असर सत्र परीक्षाओं पर पड़ रहा है। शहर के परिषदीय विद्यालयों में तो शैक्षिक कैलेंडर के हिसाब से ये परीक्षाएं
हो रही हैं, लेकिन दूरदराज ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर उन विद्यालयों जिनमें शिक्षामित्र तैनात थे, वहां पढ़ाई से लेकर परीक्षाएं तक बाधित हो रही हैं। हालांकि खंड शिक्षाधिकारी दावा कर रहे हैं कि विद्यालयों में शैक्षिक कैलेंडर के हिसाब से पठन-पाठन चल रहा है लेकिन सच्चाई इसके इतर है।

परिषदीय विद्यालयों में अगस्त में प्रथम एवं दिसंबर के पहले सप्ताह में द्वितीय सत्र परीक्षा होती है। यह परीक्षाएं 10-10 नंबर की होती हैं। इसके बाद 15 से 25 दिसंबर के बीच 30 नंबर की अर्द्धवार्षिक और मार्च में 50 नंबर की वार्षिक परीक्षा का प्रावधान है। सत्र परीक्षा के अंक भी अंतिम परिणाम में जोड़े जाते हैं, लेकिन इस बार प्रथम सत्र परीक्षा ही प्रभावित हो रही है। इसका बड़ा कारण शिक्षामित्रों का विद्यालय न आना है। शहर के परिषदीय विद्यालयों में तो यह परीक्षा कैलेंडर के हिसाब से चल रही है लेकिन ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर विद्यालयों में प्रथम सत्र परीक्षा अभी तक शुरू ही नहीं हो सकी है।
दूरदराज के उन विद्यालयों में स्थिति ज्यादा खराब है, जहां सिर्फ शिक्षामित्र तैनात थे। बीएसए संजय कुशवाहा खंड शिक्षाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर भले दावा कर रहे हों कि विद्यालयों में शैक्षिक कैलेंडर के हिसाब से परीक्षा चल रही है, लेकिन सच्चाई इससे इतर इसलिए भी है क्योंकि जिले में करीब तीन हजार शिक्षामित्र हैं, जो समायोजन निरस्त होने के बाद से विद्यालय नहीं जा रहे हैं। इसकी वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर विद्यालयों में परीक्षा भी नहीं हो पा रही हैं।

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