सुप्रभात मित्रों, समस्त प्राणी जगत में मनुष्य ही एक ऐसा जीव है जो स्वयं ही अपने उत्थान और पतन दोनों का कारण आदि काल से रहा है। जिस प्रकार जीवन देने वाले वृक्ष को हम काट देते हैं, ठीक उसी प्रकार शिखर तक पहुँचाने वाले संगठन को तोड़ने का हर सम्भव प्रयास करते हैं।
परन्तु वृक्ष तो वृक्ष ही ठहरा, जब तक खड़ा है कुछ न कुछ तो जरुर ही देगा। बच्चे माँ-बाप का जितना भी तिरस्कार कर लें, लेकिन माँ-बाप जब भी सोचेंगे या कुछ करेंगे, बच्चे की भलाई के लिए ही करेंगे। अब बच्चे उसको समझें या न समझें, सम्मान दें या डाँट डपटकर प्रताड़ित करें। ठीक उसी प्रकार यह संगठन हम सब की माँ है पिता है अभिभावक है। संगठन जब भी कुछ कदम उठाता है, हमारे हित के लिए ही उठाता है। किन्तु हमारे साथी अपने उसी संगठन को हर कदम पर कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं, संगठन के किसी भी निर्णय को गलत ठहराने के लिए रात दिन कोई न कोई बिन्दु ढूँढ़ते रहते हैं, चाहे वह कदम हमारे लिए कितना भी फायदेमन्द क्यों न हो। विरोधियों की चालों में फँसकर संगठन विरोधी बातें करने लगते हैं। आज सरकार से लेकर समाज तक और विरोधी से लेकर सहकर्मी तक हर कोई आपको तोड़ने के ही प्रयास में लगा हुआ है। किन्तु जो आपकी शिक्षामित्र बिरादरी का होते हुए भी आपको कमजोर करने की ही जुगत में लगा हुआ है तो यह आपके पतन का कारण है। आज आप कई खेमों में बँटकर जो अलग अलग राग अलाप रहे हैं, यह कभी आपको सफल नहीं होने देगा।
प्रिय मित्रों सर्वप्रथम तो आप इस बात को मान लें कि वर्तमान सरकार आपको शिक्षक बनने से रोकने हेतु हर प्रयत्न कर रही है। चाहे वह मा० सर्वोच्च न्याया०, लोकतंत्र अथवा मानवीयता के विरुद्ध ही क्यों न हो। यह बात उन सभी साथी जो टेट पास हैं अथवा टेट पास करने की तैयारियों में जुटे हुए हैं, सब को अब समझ लेना चाहिए। आप को यह भी समझना पड़ेगा कि सरकार की चिन्ता का कारण शिक्षा का गिरता स्तर कदापि नहीं है, उसकी चिन्ता का कारण ये भी नहीं है कि आपके लिए क्या रास्ता तलाशा जाय, सरकार की चिन्ता का एकमात्र कारण ये है कि जो 35 हजार टेट पास शिक्षामित्र हैं, या इसके बाद पास कर लेंगे उनको शिक्षक बनने से कैसे रोका जाय। और इनको भी शिक्षक बनने से रोकने के लिए शिक्षा अधिकार अधिनियम से भी दो कदम आगे बढ़कर टेट के बाद भी एक लिखित परीक्षा की व्यवस्था कर डाली। प्रिय मित्रों यह सरकार आपके लिए रास्ता नहीं तलाश रही थी, यह आपको शिक्षक बनने के शेष बचे रास्तों को भी बन्द करने का मार्ग तलाश रही थी।
साथियों गम्भीरता से सोचने वाली बात है कि बिना टेट के, बिना किसी लिखित परीक्षा के हम शिक्षक बन चुके हैं, तो अब टेट या किसी भी लिखित परीक्षा का समर्थन क्यों करें? भले ही हम टेट पास हों किन्तु हमारा समायोजन बिना टेट या बिना किसी लिखित परीक्षा के हुआ है और हम तीन वर्षों तक शिक्षक पद पर कार्य कर चुके हैं तो अब उसको न्यायालय से लड़कर पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता है न कि किसी परीक्षा का समर्थन करने की।
कुछ लोग 124000 का राग अलापते हैं, शायद उन्होंने अभी तक केस के विषय में कुछ जानने का प्रयास ही नहीं किया है कि केस में सुनवाई, बहस और फैसला आपके समायोजन प्रक्रिया पर हुआ है न कि 124000 या 137000 पर। जब भी फैसला आया है सम्पूर्ण एक लाख सत्तर हजार के लिए आया है, चाहे उसमें टेट पास रहे हों अथना पास न रहे हों।
जब भी समायोजन बहाल होगा सम्पूर्ण समायोजन बहाल होगा, और जब भी निरस्त होगा सम्पूर्ण निरस्त होगा। किन्तु कुछ नासमझ लोग अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने पर तुले हुए हैं।
साथियों हम सदैव से कहते आये हैं कि संगठन को मजबूत बनाए रखिए आप शिक्षक थे और शिक्षक फिर बनेंगे। दुनिया की कोई ताकत आपको सेवानिवृत्ति से पूर्व निकाल नहीं सकती। संगठन आपको स्टे भी दिलाएगा और संविधान पीठ में लड़कर जीत भी दिलाएगा। आप लोग अपने विकल्पों पर विचार कर लीजिए, इसके अतिरिक्त अब कोई विकल्प आपके पास बचा भी नहीं है।
कुछ लोग अब भी आप लोगों के बीच भ्रामकता फैलाने का काम करते हैं कि रिव्यू की डेट नहीं लगेगी, खारिज हो जाएगी इत्यादि। साथियों यह उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ की रिव्यू है, जिसकी परिछाया में प्रत्येक शिक्षामित्र आता है। इसकी डेट अगले वर्ष नहीं जाती है यह उसी वर्ष सुनी जाती है। जब चाहेंगे मेंशन कराकर सुनवाई करा लेंगे। और यदि खारिज होती है तो आपकी जीत भी संविधान पीठ का रास्ता खुलने से सुनिश्चित हो जाती है। आवश्यकता सिर्फ आप लोगों के आर्थिक सहयोग की है जैसे ही आपका आर्थिक सहयोग मिलना शुरु हो जाएगा, वैसे ही अधिवक्ताओं का अनुबन्धन, मेंशन की प्रक्रिया और ब्रीफिंग भी शुरु हो जाएगी। इसलिए अब यही सही समय है जागने का और भ्रामकता फैलाने वालों तथा संगठन को तोड़ने का प्रयास करने वालों को मुँहतोड़ जवाब देने का।
जिन साथियों को अभी भी हमारी बातों से एलर्जी हो वे अब वाशिंगटन में धरने की तैयारी करें या घर बैठकर आराम फरमाएँ अथवा दस हजार का इन्तजार करते हुए पूरा जीवन गुजार दें। किन्तु संगठन के ऊपर किसी प्रकार का आरोप न लगाएँ। क्योंकि आपकी भी लड़ाई संगठन ही लड़ रहा है, आप उसको समझें अथवा न समझें। संगठन के लोग हवाई जहाज से चलें, यह भी हमारे लिए फख्र की बात होनी चाहिए। यदि विचारधारा में परिवर्तन लाएँगे तो आपके माँ बाप भी आपसे प्रसन्न होंगे कि चलो जिसने शिक्षक पद तक पहुँचाया उसका सम्मान तो किया, अब एक दिन हमारा भी सम्मान करना सीख जाएगा।
प्रिय मित्रों आपको डेट का इंतजार है और संगठन को आपके आर्थिक सहयोग का। समस्त जिलों व ब्लाकों के समस्त पदाधिकारियों को प्रेरित करें कि अविलम्ब आवश्यक बैठकें करते हुए तत्काल प्रदेश संगठन को आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराएँ, जिससे केस को मेंशन कराते हुई सुनवाई की तारीख निकलवायी जा सके। धन्यवाद॥ आपका अपना
राजीव कुमार गुप्ता
प्रदेश सब को आर्डिनेटर
सोशल मीडिया
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
उत्तर प्रदेश
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परन्तु वृक्ष तो वृक्ष ही ठहरा, जब तक खड़ा है कुछ न कुछ तो जरुर ही देगा। बच्चे माँ-बाप का जितना भी तिरस्कार कर लें, लेकिन माँ-बाप जब भी सोचेंगे या कुछ करेंगे, बच्चे की भलाई के लिए ही करेंगे। अब बच्चे उसको समझें या न समझें, सम्मान दें या डाँट डपटकर प्रताड़ित करें। ठीक उसी प्रकार यह संगठन हम सब की माँ है पिता है अभिभावक है। संगठन जब भी कुछ कदम उठाता है, हमारे हित के लिए ही उठाता है। किन्तु हमारे साथी अपने उसी संगठन को हर कदम पर कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं, संगठन के किसी भी निर्णय को गलत ठहराने के लिए रात दिन कोई न कोई बिन्दु ढूँढ़ते रहते हैं, चाहे वह कदम हमारे लिए कितना भी फायदेमन्द क्यों न हो। विरोधियों की चालों में फँसकर संगठन विरोधी बातें करने लगते हैं। आज सरकार से लेकर समाज तक और विरोधी से लेकर सहकर्मी तक हर कोई आपको तोड़ने के ही प्रयास में लगा हुआ है। किन्तु जो आपकी शिक्षामित्र बिरादरी का होते हुए भी आपको कमजोर करने की ही जुगत में लगा हुआ है तो यह आपके पतन का कारण है। आज आप कई खेमों में बँटकर जो अलग अलग राग अलाप रहे हैं, यह कभी आपको सफल नहीं होने देगा।
प्रिय मित्रों सर्वप्रथम तो आप इस बात को मान लें कि वर्तमान सरकार आपको शिक्षक बनने से रोकने हेतु हर प्रयत्न कर रही है। चाहे वह मा० सर्वोच्च न्याया०, लोकतंत्र अथवा मानवीयता के विरुद्ध ही क्यों न हो। यह बात उन सभी साथी जो टेट पास हैं अथवा टेट पास करने की तैयारियों में जुटे हुए हैं, सब को अब समझ लेना चाहिए। आप को यह भी समझना पड़ेगा कि सरकार की चिन्ता का कारण शिक्षा का गिरता स्तर कदापि नहीं है, उसकी चिन्ता का कारण ये भी नहीं है कि आपके लिए क्या रास्ता तलाशा जाय, सरकार की चिन्ता का एकमात्र कारण ये है कि जो 35 हजार टेट पास शिक्षामित्र हैं, या इसके बाद पास कर लेंगे उनको शिक्षक बनने से कैसे रोका जाय। और इनको भी शिक्षक बनने से रोकने के लिए शिक्षा अधिकार अधिनियम से भी दो कदम आगे बढ़कर टेट के बाद भी एक लिखित परीक्षा की व्यवस्था कर डाली। प्रिय मित्रों यह सरकार आपके लिए रास्ता नहीं तलाश रही थी, यह आपको शिक्षक बनने के शेष बचे रास्तों को भी बन्द करने का मार्ग तलाश रही थी।
साथियों गम्भीरता से सोचने वाली बात है कि बिना टेट के, बिना किसी लिखित परीक्षा के हम शिक्षक बन चुके हैं, तो अब टेट या किसी भी लिखित परीक्षा का समर्थन क्यों करें? भले ही हम टेट पास हों किन्तु हमारा समायोजन बिना टेट या बिना किसी लिखित परीक्षा के हुआ है और हम तीन वर्षों तक शिक्षक पद पर कार्य कर चुके हैं तो अब उसको न्यायालय से लड़कर पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता है न कि किसी परीक्षा का समर्थन करने की।
कुछ लोग 124000 का राग अलापते हैं, शायद उन्होंने अभी तक केस के विषय में कुछ जानने का प्रयास ही नहीं किया है कि केस में सुनवाई, बहस और फैसला आपके समायोजन प्रक्रिया पर हुआ है न कि 124000 या 137000 पर। जब भी फैसला आया है सम्पूर्ण एक लाख सत्तर हजार के लिए आया है, चाहे उसमें टेट पास रहे हों अथना पास न रहे हों।
जब भी समायोजन बहाल होगा सम्पूर्ण समायोजन बहाल होगा, और जब भी निरस्त होगा सम्पूर्ण निरस्त होगा। किन्तु कुछ नासमझ लोग अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने पर तुले हुए हैं।
साथियों हम सदैव से कहते आये हैं कि संगठन को मजबूत बनाए रखिए आप शिक्षक थे और शिक्षक फिर बनेंगे। दुनिया की कोई ताकत आपको सेवानिवृत्ति से पूर्व निकाल नहीं सकती। संगठन आपको स्टे भी दिलाएगा और संविधान पीठ में लड़कर जीत भी दिलाएगा। आप लोग अपने विकल्पों पर विचार कर लीजिए, इसके अतिरिक्त अब कोई विकल्प आपके पास बचा भी नहीं है।
कुछ लोग अब भी आप लोगों के बीच भ्रामकता फैलाने का काम करते हैं कि रिव्यू की डेट नहीं लगेगी, खारिज हो जाएगी इत्यादि। साथियों यह उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ की रिव्यू है, जिसकी परिछाया में प्रत्येक शिक्षामित्र आता है। इसकी डेट अगले वर्ष नहीं जाती है यह उसी वर्ष सुनी जाती है। जब चाहेंगे मेंशन कराकर सुनवाई करा लेंगे। और यदि खारिज होती है तो आपकी जीत भी संविधान पीठ का रास्ता खुलने से सुनिश्चित हो जाती है। आवश्यकता सिर्फ आप लोगों के आर्थिक सहयोग की है जैसे ही आपका आर्थिक सहयोग मिलना शुरु हो जाएगा, वैसे ही अधिवक्ताओं का अनुबन्धन, मेंशन की प्रक्रिया और ब्रीफिंग भी शुरु हो जाएगी। इसलिए अब यही सही समय है जागने का और भ्रामकता फैलाने वालों तथा संगठन को तोड़ने का प्रयास करने वालों को मुँहतोड़ जवाब देने का।
जिन साथियों को अभी भी हमारी बातों से एलर्जी हो वे अब वाशिंगटन में धरने की तैयारी करें या घर बैठकर आराम फरमाएँ अथवा दस हजार का इन्तजार करते हुए पूरा जीवन गुजार दें। किन्तु संगठन के ऊपर किसी प्रकार का आरोप न लगाएँ। क्योंकि आपकी भी लड़ाई संगठन ही लड़ रहा है, आप उसको समझें अथवा न समझें। संगठन के लोग हवाई जहाज से चलें, यह भी हमारे लिए फख्र की बात होनी चाहिए। यदि विचारधारा में परिवर्तन लाएँगे तो आपके माँ बाप भी आपसे प्रसन्न होंगे कि चलो जिसने शिक्षक पद तक पहुँचाया उसका सम्मान तो किया, अब एक दिन हमारा भी सम्मान करना सीख जाएगा।
प्रिय मित्रों आपको डेट का इंतजार है और संगठन को आपके आर्थिक सहयोग का। समस्त जिलों व ब्लाकों के समस्त पदाधिकारियों को प्रेरित करें कि अविलम्ब आवश्यक बैठकें करते हुए तत्काल प्रदेश संगठन को आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराएँ, जिससे केस को मेंशन कराते हुई सुनवाई की तारीख निकलवायी जा सके। धन्यवाद॥ आपका अपना
राजीव कुमार गुप्ता
प्रदेश सब को आर्डिनेटर
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