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बनारस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी: शिक्षामित्रों के उग्र आंदोलन से डरा प्रशासन

संसदीय क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनका वादा याद दिलाने के लिए विभिन्न जिलों से करीब बीस हजार शिक्षामित्र यहां पहुंच चुके हैं।
प्रशासन को इससे डरा है। इसलिए उन्हें समझाने को कोशिशें भी तेज हैं। उम्मीद है कि शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल की पीएम से मुलाकात कराई जा सकती है।
सहायक शिक्षक के रूप में समायोजन रद होने से नाराज शिक्षामित्र करीब दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। पिछले दिनों नई दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर से उनकी मुलाकात हुई, लेकिन शिक्षामित्र संतुष्ट नहीं हुए। वहां पर धरना समाप्त करने हुए घोषणा की थी कि वे 22-23 सितंबर को वाराणसी में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान धरना-प्रदर्शन करेंगे। इसी क्रम में शिक्षामित्रों ने धरना-प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। सूत्रों का कहना है कि तीन दिन पहले से ही जिले में शिक्षामित्रों का आना शुरू हो गया है। वे कई स्थानों पर ठहरे हुए हैं।
बैठक कर बनाई रणनीति
शिक्षामित्रों ने गुरुवार को एलटी कॉलेज में बैठक रणनीति बनाई है। उनका कहना है कि वे हर हाल में पीएम तक अपनी बात पहुंचाएंगे। अगर उनसे मिलने का मौका मिला तो उनसे कहा जाएगा कि उनके भविष्य को कानूनी पचड़े में न फंसाया जाए। केंद्र सरकार चाहेगी तो उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा। पीएम को देने के लिए पत्रक भी तैयार किया गया है। बैठक की अध्यक्षता आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोशिएशन के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र दुबे ने किया।
शाहंशाहपुर में उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी
शिक्षामित्रों की रणनीति है कि शाहंशाहपुर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान उनका ध्यान खींचा जाए। जैसे उन्होंने 2015 के सितंबर में डीरेका में प्रधानमंत्री की जनसभा में किया था। उस सयम शिक्षामित्रों के हंगामे के कारण पीएम को भाषण रोकना पड़ा था। शिक्षामित्र चाहते हैं कि पीएम सावर्जनिक तौर पर बताएं कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं। अगर इससे पहले बातचीत का मौका मिलता है तो शिक्षामित्र नेताओं के साथ क्या वार्ता हुई? यह भी सार्वजनिक किया जाए।
शिक्षामित्र नेताओं के सम्पर्क हैं जिला प्रशासन
शिक्षामित्रों को लेकर प्रशासन चौंकन्ना है। जिला और प्रांतीय नेताओं के सम्पर्क में हैं। उन्हें समझाने-बुझाने की कोशिश चल रही है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि अगर पीएमओ से स्वीकृति मिलती है तो प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री से मिलवाया जाएगा।


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