लखनऊ (जेएनएन)। शिक्षामित्र यदि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने नहीं आएंगे तो सरकार उनकी संविदा समाप्त कर उनकी जगह रिटायर्ड शिक्षकों की सेवाएं लेगी।
बच्चों को पढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय दिया जाएगा। शिक्षामित्रों के अडिय़ल रवैये को देखकर सरकार इस विकल्प को अपनाने पर विचार कर रही है।
शिक्षकों के पद पर समायोजन रद होने के बाद से शिक्षामित्र आंदोलित हैं। वे खुद को फिर से शिक्षक बनाये जाने के लिए कानून में बदलाव की मांग कर रहे हैं। शिक्षामित्रों की मांग पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया था। मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों से स्कूलों में जाकर फिर से बच्चों को पढ़ाने का आह्वान किया था। इसके बाद कुछ शिक्षामित्रों ने तो स्कूलों में जाकर पढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ने नई दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने स्कूलों में शिक्षामित्रों की उपस्थिति की जांच करायी तो पता चला कि स्कूलों में शिक्षामित्रों की औसत उपस्थिति 55 फीसद ही है। पश्चिमी उप्र के जिलों में उनकी उपस्थिति कहीं ज्यादा कम है।
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा कि सरकार के लिए स्कूली बच्चों का हित सर्वोपरि है। सरकार बच्चों को केंद्र में रखकर नीतियां बनाती हैैं। शिक्षक और शिक्षामित्र उस नीति का अंग हैं और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझें। यदि शिक्षामित्र स्कूलों में पढ़ाने नहीं आयेंगे तो सरकार उनकी संविदा समाप्त कर उनकी जगह सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय पर नियुक्त करेगी।
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बच्चों को पढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय दिया जाएगा। शिक्षामित्रों के अडिय़ल रवैये को देखकर सरकार इस विकल्प को अपनाने पर विचार कर रही है।
शिक्षकों के पद पर समायोजन रद होने के बाद से शिक्षामित्र आंदोलित हैं। वे खुद को फिर से शिक्षक बनाये जाने के लिए कानून में बदलाव की मांग कर रहे हैं। शिक्षामित्रों की मांग पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया था। मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों से स्कूलों में जाकर फिर से बच्चों को पढ़ाने का आह्वान किया था। इसके बाद कुछ शिक्षामित्रों ने तो स्कूलों में जाकर पढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ने नई दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने स्कूलों में शिक्षामित्रों की उपस्थिति की जांच करायी तो पता चला कि स्कूलों में शिक्षामित्रों की औसत उपस्थिति 55 फीसद ही है। पश्चिमी उप्र के जिलों में उनकी उपस्थिति कहीं ज्यादा कम है।
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा कि सरकार के लिए स्कूली बच्चों का हित सर्वोपरि है। सरकार बच्चों को केंद्र में रखकर नीतियां बनाती हैैं। शिक्षक और शिक्षामित्र उस नीति का अंग हैं और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझें। यदि शिक्षामित्र स्कूलों में पढ़ाने नहीं आयेंगे तो सरकार उनकी संविदा समाप्त कर उनकी जगह सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय पर नियुक्त करेगी।
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