डीएलएड (पूर्व बीटीसी): 2.50 से 3 लाख रुपए तक है एक सीट की कीमत, ऐसे हुआ खुलासा

लखनऊ. अब बीटीसी (डीएलएड) में भविष्य के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वह बच्चों को अच्छे से पढ़ा सकें। लेकिन शहर के कुछ निजी कॉलेज संचालकों ने इसे जेब भरने का जरिया बना लिया है। इन कॉलेजों में मनमानी कीमतों में सीट का सौदा हो रहा है।
जो कि पड़ताल में सामने आया है कि एक सीट के लिए कॉलेजों में ढ़ाई लाख से तीन लाख रुपए तक लिए जा रहे हैं। जबकि शासन ने दो साल की फीस करीब 82,000 रुपए तय की है। यही नहीं, पैसे देने वाले छात्रों को नियमित उपस्थिति से छूट समेत पास कराने तक की गारंटी दी जा रही है। यह खेल अल्पसंख्यक संस्थान में सीधे दाखिले के नाम पर हो रहा है।
फीस ढ़ाई लाख, देरी करने पर बढ़ेगी
गौतमबुद्ध डिग्री कॉलेज बिजनौर सीआरपीएफ कैम्प के पास स्थित कॉलेज में बीटीसी के सीधे दाखिले की फीस ढ़ाई लाख रुपए है। कॉलेज के प्रतिनिधि रश्मि और नागेन्द्र कुशवाहा ने खुद यह जानकारी दी कि इसके अलावा, कोई फीस नहीं ली जाएगी। नियमित उपस्थिति दर्ज कराने में असमर्थता जताने पर उन्होंने कक्षाओं से भी छूट देने का दावा किया। उन्होंने साफ शब्दों में सिर्फ एक महीने टीचिंग में उपस्थिति होने की बात कही। जल्द दाखिले लेने की हिदायत भी दी गई। यह भी कहा कि देरी करने पर फीस बढ़ जाएगी।
तीन लाख रुपए की एक सीट
स्वामी विवेकानन्द महिला महाविद्यालय रायबरेली रोड स्थित अल्पसंख्यक संस्थान में दाखिला लेना और भी महंगा है। यहां तीन लाख रुपये तक फीस ली जा रही है। कॉलेज की ओर से दिए गए मोबाइल नम्बर 9415418340 पर सम्पर्क किया गया तो दूसरी तरफ से शुरुआत ही तीन लाख रुपए की मांग से की गई। फोन पर बात कर रहे स्कूल के संचालक मोहन सिंह ने कहा कि यह दो साल की फीस होगी। मोहन सिंह ने फीस की जानकारी के साथ यह भी कहा कि क्लासेज में उपस्थिति से भी छूट मिलेगी। यह भी कहा गया कि यह ऑफर सिर्फ गुरुवार दोपहर दो बजे तक के लिए है।
ढ़ाई लाख में सब कुछ
श्री महेश प्रसाद डिग्री कॉलेज मोहनलालगंज के पास स्थित कॉलेज के प्रबंधक से बुधवार को एक छात्र ने बात कि तो उन्होंने भी कुछ ऐसे ही वादे दोहराए। प्रबंधक गिरधारी लाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि फीस में सब कुछ ढ़ाई लाख रुपए में हो जाएगा। सब कुछ यानी फीस के साथ-साथ पढ़ाई से संबंधित बाकी के सारे खर्च इसी राशि से लिए जाएंगे। हालांकि बाकी कॉलेजों से इतर यहां के प्रबंधक ने क्लास में उपस्थिति पर थोड़ा जोर दिया। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि कम से कम सप्ताह में दो या तीन दिन तो क्लास करनी ही पड़ेगी।
ऐसे हुआ खुलासा
शहर के कुछ अल्पसंख्यक संस्थानों ने बीटीसी समेत कई अन्य पाठ्यक्रमों की खाली सीट पर सीधे दाखिले लिए जाने की सूचना जारी की। संस्थानों की इस सूचना के आधार पर कॉलेज में पड़ताल की गई। तब यह सच सामने आया।
प्राचार्य डॉ. पवन कुमार ने कहा है कि शासन ने बीटीसी का शुल्क डायट के लिए 10 हजार रुपये प्रतिवर्ष और निजी के लिए 41 हजार रुपये प्रति वर्ष रखा है। अल्पसंख्यक संस्थान भी इतनी ही फीस ले सकते हैं। हम कमेटी बनाकर जांच कराएंगे। अगर कोई संस्थान गड़बड़ी करता मिला तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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