दलित और पिछड़ा वर्ग विरोधी है प्राइमरी टीचर्स की नई भर्ती नीति बेसिक शिक्षा की नई अध्यापक चयन(भर्ती ) नीति।। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक की चयन नीति केवल दलित और पिछड़े वर्ग को सरकारी नोकरी से बाहर करने हेतु बनाई गई है।।
ज्ञात हो प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में जिन अधिकारियों को नियुक्त किया है।वे सभी दलित और पिछड़े वर्ग विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है।और सामन्तवादी वयवस्था के हितेषी है।।
ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पदों पर अध्यापक चयन हेतु बेसिक शिक्षा नियमावली को संशोधित किया है।।
जिसमे अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद अलग से दुबारा परीक्षा कराने का प्रस्ताव किया गया है।।
मेरिट के निर्धारण में जहां अभ्यर्थी के एकेडमिक गुणांक के 40% मेरिट में जोड़े जाएंगे वही एक अलग से परीक्षा कराकर उसके 60% अंक मेरिट में जोड़े जाएंगे।।
एक नोकरी के लिए दो दो परीक्षा जहां असंवेधानिक है वही ये परीक्षा कमज़ोर ओर गरीब समाज से आये दलित और पिछड़े समाज की आशाओं पर कुठाराघात करेगी।।
यहां ये तथ्य समझना आवश्यक है दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों का जहां इस भर्ती में दो दो परीक्षा के चलते सफल होना असंभव हो जाएगा।।
उसके परिणाम स्वरूप सामान्य पदों पर अधिकांश सवर्ण
अभ्यर्थियों का ही चयन होगा।।
जिससे सरकार की मंशा पूरी हो जाएगी।।
2017 के विधान सभा ओर 2014 के लोक सभा चुनाव में खुद मोदी जी पिछड़े ओर दलित समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व सरकारी सेवाओं में बढाने के लिए इस प्रकार की परीक्षाओं की खत्म करने पर ज़ोर देते रहे है।।वहीं प्रदेश सरकार के स्वर्ण मानसिकता से ग्रस्त अधिकारी मात्र अपने समाज को लाभ देने के लिए दलित और पिछड़े समाज का गला घोंटने का काम कर रहे है।।
पूरे भारत के कई प्रदेशों में जहां शिक्षक चयन में टेट ओर अकेडमिक के अंक जोड़कर मेरिट द्वारा चयन होता रहा है।खुद मोदी जी के मॉडल स्टेट गुजरात मे शिक्षक चयन हेतु टेट परीक्षा और अकेडमिक अंको के प्रतिशत को जोड़कर मेरिट बनाई जाती है
वही उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां टेट के अलावा भी एक अन्य परीक्षा कराकर चयन करने का प्रस्ताव है।।
ज्ञात हो कि पूर्व के समय मे भी इसी सोच के लोगो द्वरा परीक्षाओं में व्यापक धांधली करके हमेशा ही दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को भर्ती से बाहर का रास्ता दिखाया है।
आज फिर से प्रदेश में वही हालात पैदा करके।।
दलित और पिछड़े समाज को इन भर्तियों से बाहर करने का मास्टर प्लान इन अधिकारियों द्वारा बनाया गया है।लिखित परीक्षा के माध्यम से सवर्ण अभ्यर्थियों को परोक्ष रूप से लाभ पहुचाने की कोशिश की जा रही हैं।
सतर्क रहें आवाज़ उठाये।।
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ज्ञात हो प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में जिन अधिकारियों को नियुक्त किया है।वे सभी दलित और पिछड़े वर्ग विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है।और सामन्तवादी वयवस्था के हितेषी है।।
ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पदों पर अध्यापक चयन हेतु बेसिक शिक्षा नियमावली को संशोधित किया है।।
जिसमे अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद अलग से दुबारा परीक्षा कराने का प्रस्ताव किया गया है।।
मेरिट के निर्धारण में जहां अभ्यर्थी के एकेडमिक गुणांक के 40% मेरिट में जोड़े जाएंगे वही एक अलग से परीक्षा कराकर उसके 60% अंक मेरिट में जोड़े जाएंगे।।
एक नोकरी के लिए दो दो परीक्षा जहां असंवेधानिक है वही ये परीक्षा कमज़ोर ओर गरीब समाज से आये दलित और पिछड़े समाज की आशाओं पर कुठाराघात करेगी।।
यहां ये तथ्य समझना आवश्यक है दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों का जहां इस भर्ती में दो दो परीक्षा के चलते सफल होना असंभव हो जाएगा।।
उसके परिणाम स्वरूप सामान्य पदों पर अधिकांश सवर्ण
अभ्यर्थियों का ही चयन होगा।।
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2017 के विधान सभा ओर 2014 के लोक सभा चुनाव में खुद मोदी जी पिछड़े ओर दलित समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व सरकारी सेवाओं में बढाने के लिए इस प्रकार की परीक्षाओं की खत्म करने पर ज़ोर देते रहे है।।वहीं प्रदेश सरकार के स्वर्ण मानसिकता से ग्रस्त अधिकारी मात्र अपने समाज को लाभ देने के लिए दलित और पिछड़े समाज का गला घोंटने का काम कर रहे है।।
पूरे भारत के कई प्रदेशों में जहां शिक्षक चयन में टेट ओर अकेडमिक के अंक जोड़कर मेरिट द्वारा चयन होता रहा है।खुद मोदी जी के मॉडल स्टेट गुजरात मे शिक्षक चयन हेतु टेट परीक्षा और अकेडमिक अंको के प्रतिशत को जोड़कर मेरिट बनाई जाती है
वही उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां टेट के अलावा भी एक अन्य परीक्षा कराकर चयन करने का प्रस्ताव है।।
ज्ञात हो कि पूर्व के समय मे भी इसी सोच के लोगो द्वरा परीक्षाओं में व्यापक धांधली करके हमेशा ही दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को भर्ती से बाहर का रास्ता दिखाया है।
आज फिर से प्रदेश में वही हालात पैदा करके।।
दलित और पिछड़े समाज को इन भर्तियों से बाहर करने का मास्टर प्लान इन अधिकारियों द्वारा बनाया गया है।लिखित परीक्षा के माध्यम से सवर्ण अभ्यर्थियों को परोक्ष रूप से लाभ पहुचाने की कोशिश की जा रही हैं।
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