नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने बुधवार को 15वें वित्त आयोग के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह आयोग देश के कर संसाधनों का अनुमान लगाएगा और केंद्र व राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण का नया फामरूला सुझाएगा।
इस आयोग का अध्यक्ष कौन होगा और यह किन-किन विषयों पर विचार विमर्श करेगा, इस बारे में सरकार आने वाले दिनों में अधिसूचना जारी करेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि आयोग की सिफारिशें एक अप्रैल, 2020 से लागू होंगी। आम तौर पर वित्त आयोग को अपनी सिफारिशें देने में दो साल का वक्त लगता है। केंद्र सरकार जल्द ही इस आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम तय करेगी।1संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व का बटवारा वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही होता है। इसके अलावा यह आयोग वह सिद्धांत भी बताता है जिसके आधार पर राज्यों को केंद्र से अनुदान उपलब्ध कराया जाए। इस बार आयोग को जीएसटी के प्रभाव का अध्ययन भी करना होगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इस साल एक जुलाई से देश में लागू हुआ है। आयोग को यह देखना होगा कि इस टैक्स का केंद्र और राज्यों के राजस्व की स्थिति पर क्या-क्या असर पड़ रहा है। इसलिए आयोग को कर राजस्व के बंटवारे का नया फामरूला भी सुझाना पड़ सकता है।1फिलहाल चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हैं। इस आयोग का गठन दो जनवरी, 2013 को किया गया था। इसकी सिफारिशें एक अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 की अवधि के लिए प्रभावी हैं। खास बात यह है कि चौदहवें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी। इसे मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया था। हालांकि इस बार भी वित्त आयोग राज्यों की हिस्सेदारी इतनी ज्यादा बढ़ाएगा, इसकी संभावनाएं कम हैं। वित्त मंत्री ने जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमें पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहिए। भारत राज्यों का संघ है। संघ को भी अपना अस्तित्व बनाए रखना है।’
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इस आयोग का अध्यक्ष कौन होगा और यह किन-किन विषयों पर विचार विमर्श करेगा, इस बारे में सरकार आने वाले दिनों में अधिसूचना जारी करेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि आयोग की सिफारिशें एक अप्रैल, 2020 से लागू होंगी। आम तौर पर वित्त आयोग को अपनी सिफारिशें देने में दो साल का वक्त लगता है। केंद्र सरकार जल्द ही इस आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम तय करेगी।1संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व का बटवारा वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही होता है। इसके अलावा यह आयोग वह सिद्धांत भी बताता है जिसके आधार पर राज्यों को केंद्र से अनुदान उपलब्ध कराया जाए। इस बार आयोग को जीएसटी के प्रभाव का अध्ययन भी करना होगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इस साल एक जुलाई से देश में लागू हुआ है। आयोग को यह देखना होगा कि इस टैक्स का केंद्र और राज्यों के राजस्व की स्थिति पर क्या-क्या असर पड़ रहा है। इसलिए आयोग को कर राजस्व के बंटवारे का नया फामरूला भी सुझाना पड़ सकता है।1फिलहाल चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हैं। इस आयोग का गठन दो जनवरी, 2013 को किया गया था। इसकी सिफारिशें एक अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 की अवधि के लिए प्रभावी हैं। खास बात यह है कि चौदहवें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी। इसे मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया था। हालांकि इस बार भी वित्त आयोग राज्यों की हिस्सेदारी इतनी ज्यादा बढ़ाएगा, इसकी संभावनाएं कम हैं। वित्त मंत्री ने जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमें पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहिए। भारत राज्यों का संघ है। संघ को भी अपना अस्तित्व बनाए रखना है।’
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