क्या शिक्षा में बदलाव की शुरूआत शिक्षकों को ही करनी होगी?

आज राष्ट्र शिक्षा दिवस है |कहा जाता है कि अगर किसी देश को बर्बाद करना है तो उसका एजुकेशन सिस्टम बर्बाद कर दो। आपको कुछ करने की जरूरत नहीं रहेगी।
इस कथन का मतलब यही है कि किसी भी देश का एजुकेशन सिस्टम उसे बहुत मजबूत बनाता है लेकिन आज हमारे देश की एजुकेशन और एजुकेशन सिस्टम दोनों को ही बदलाव की जरूरत है जिन्हें बदलने के लिए शिक्षकों को ही ख़ास कदम उठाने होंगे। इस मुद्दे को लेकर यूथेन्स न्यूज ने शिक्षा और समाज से जुड़े लोगों कुछ ख़ास लोगों से बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने विचार रखे।

1. शिक्षा के बदलाव में तीन लोगों का योगदान अनिवार्य है। स्टूडेंट, टीचर और एजुकेशनिस्ट। इन तीनों की आपस में चर्चा होनी चाहिए। तभी शिक्षा में बदलाव आ सकता है।
-साकेत बहुगुणा, संयोजक राष्ट्रीय मीडिया
2. शिक्षा ही विधार्थियों और शिक्षकों के बीच की कड़ी है। इन दोनों को मिलाकर ही इसमें बदलावा लाना है। शिक्षक ही है जो विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन देते हैं।
उन्नति सिंह, डायरेक्टर, मानसी ब्यूटी एकेडमी
3. लंबे समय से चली आ रही शिक्षा पद्धति में बदलाव जरूरी है जो नहीं हो पा रहा है। हम स्टूडेंट को शिक्षा-साक्षरता ओवरआल डेवलपमेंट स्किल नहीं दे पाते। स्टूडेंट को ओवरऑल डेवलपमेंट और उन्हें जॉब ओरिएंटेड बनाना जरूरी है। अच्छी शिक्षा के माध्यम से।
-मनीषा शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, अमरकंटर यूनिवर्सिटी जबलपुर
4. निश्चित तौर पर जब तक शिक्षक नहीं बदलेंगे तब तक विधार्थियों में कैसे सुधार होगा। शिक्षक को बदलना जरूरी है। -डॉ. राजीव झालानी, इंदौर
5. शासन को ही शिक्षा में बदलवा करना है। समय के साथ एजुकेशन पॉलिसी बदलती रहनी चाहिए।
-अमित डेविड, प्राचार्य क्रिश्चन कॉलेज इंदौर
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