जागरण संवाददाता, उन्नाव : समायोजन रद होने के बाद अब शिक्षामित्र अब
अपने मूल स्कूल में तैनाती की मांग कर रहे हैं। अधिकतर अपनी तैनाती पुराने
स्कूल में करने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि समायोजन के बाद उनके वेतन में बढ़ोत्तरी हो गई थी जिससे उन्हें जिले में कहीं जाने में दिक्कत नहीं थी। लेकिन, अब उनका मानदेय तकरीबन चौथाई रह गया है, ऐसे में वह आने-जाने का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं हैं।
जिले के 3460 शिक्षामित्र कार्यरत थे। इनमें से 3268 का सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन हो गया था। जबकि बाकी बचे 192 का समायोजन होना बाकी था। समायोजन के बाद इनका वेतन 3500 से बढ़कर दस गुना से ज्यादा हो गया था। इसके बाद इन्हें अपने मूल विद्यालय से अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित भी किया गया। जिसमें बड़ी संख्या ऐसी थी जो अपने मूल स्कूल से 20 से 50 किमी तक की दूरी तक कर शिक्षण कार्य को जाते थे। वेतन में बढ़ोत्तरी और शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक का पद मिलने पर उनको यह दूरी नहीं खली। लेकिन 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद किए जाने के बाद वह मूल पद शिक्षामित्र पर आ गए। हालांकि बाद में राज्य सरकार ने मानदेय 3500 के बजाय दस हजार कर दिया। तमाम आंदोलन के बाद भी बात न बनने पर अब शिक्षामित्र अपने मूल स्कूल में तैनाती किए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए तमाम शिक्षामित्रों ने बीएसए कार्यालय में प्रार्थना पत्र भी देना शुरू कर दिया है। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अजय प्रताप ¨सह के मुताबिक वह लोग प्रार्थना पत्र विभागीय अधिकारियों को दे रहे हैं। अगर उनकी मांग को माना नहीं गया तो वह लोग मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन डीएम को देंगे।
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उनका कहना है कि समायोजन के बाद उनके वेतन में बढ़ोत्तरी हो गई थी जिससे उन्हें जिले में कहीं जाने में दिक्कत नहीं थी। लेकिन, अब उनका मानदेय तकरीबन चौथाई रह गया है, ऐसे में वह आने-जाने का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं हैं।
जिले के 3460 शिक्षामित्र कार्यरत थे। इनमें से 3268 का सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन हो गया था। जबकि बाकी बचे 192 का समायोजन होना बाकी था। समायोजन के बाद इनका वेतन 3500 से बढ़कर दस गुना से ज्यादा हो गया था। इसके बाद इन्हें अपने मूल विद्यालय से अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित भी किया गया। जिसमें बड़ी संख्या ऐसी थी जो अपने मूल स्कूल से 20 से 50 किमी तक की दूरी तक कर शिक्षण कार्य को जाते थे। वेतन में बढ़ोत्तरी और शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक का पद मिलने पर उनको यह दूरी नहीं खली। लेकिन 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद किए जाने के बाद वह मूल पद शिक्षामित्र पर आ गए। हालांकि बाद में राज्य सरकार ने मानदेय 3500 के बजाय दस हजार कर दिया। तमाम आंदोलन के बाद भी बात न बनने पर अब शिक्षामित्र अपने मूल स्कूल में तैनाती किए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए तमाम शिक्षामित्रों ने बीएसए कार्यालय में प्रार्थना पत्र भी देना शुरू कर दिया है। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अजय प्रताप ¨सह के मुताबिक वह लोग प्रार्थना पत्र विभागीय अधिकारियों को दे रहे हैं। अगर उनकी मांग को माना नहीं गया तो वह लोग मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन डीएम को देंगे।
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