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शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय जाने का इंतजार

इलाहाबाद। सहायक अध्यापक पद से समायोजन निरस्त होने और प्रदेश सरकार की ओर से प्रतिमाह 10 हजार रुपये मानदेय पर निर्णय होने के बाद अब शिक्षामित्रों को अपने मूल विद्यालयों में जाने का इंतजार है।
कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने बेसिक शिक्षा परिषद के अफसरों को पत्र लिखकर इस संबंध में दिशा-निर्देश मांगा लेकिन शासन से मानदेय के अलावा कोई आदेश न होने के कारण परिषद के अफसर भी कुछ बोलने से बच रहे हैं। हालांकि इन सबके बीच कुछ जिलों में बीएसए शिक्षामित्रों को उनके मूल पदों एवं विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दे रहे हैं।
सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन होने के बाद शिक्षामित्रों को दूसरे जिलों, ब्लाकों में तैनाती दी गई थी। वेतन तकरीबन 38 हजार रुपये होने के कारण उस दौरान शिक्षा मित्रों ने तत्काल दूसरे जिलों, ब्लाकों में तैनाती ले ली लेकिन अब वे उन विद्यालयों के बजाए सहायक अध्यापक बनने के पहले जिन विद्यालयों में तैनात थे, वहीं भेजने की मांग कर रहे हैं लेकिन इस पर सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। शिक्षामित्रों का कहना है कि 10 हजार रुपये मानदेय पर वे दूसरे जिलों या ब्लाकों में काम करने में असमर्थ हैं। इसकी वजह से काफी विद्यालयों में शिक्षामित्र नियमित रूप से जा भी नहीं रहे हैं। इसकी असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है।
बेसिक शिक्षा निदेशालय से किसी तरह का दिशा-निर्देश न मिलने और शिक्षामित्रों के विद्यालयों में नियमित न आने से प्रभावित हो रही पढ़ाई को देखते हुए कई जिलों के बीएसए अपने स्तर से शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालयों में भेजने का निर्देश कर रहे हैं। प्रतापगढ़ के बीएसए ने समायोजित शिक्षकों को उनके मूल पद (शिक्षामित्र) पर वापस किए जाने के आदेश के क्रम में मंगलवार को उन्हें तत्काल प्रभाव से मूल पद एवं विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश जारी कर दिया, जबकि इलाहाबाद समेत कई जिलों में बीएसए अभी सरकार और निदेशालय से आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
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