13 साल से फर्जी अंकपत्र पर नौकरी करते मिले 41 शिक्षक

परिषदीय स्कूलों में 13 वर्षों से कार्यरत 41 शिक्षक व शिक्षिकाओं के आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से जारी बीएड के अंकपत्र फर्जी पाए गए हैं। अभी सात ब्लाकों के खंड शिक्षाधिकारियों ने सूचना उपलब्ध नहीं कराई है। इस पर नाराजगी जताते हुए बेसिक शिक्षाधिकारी ने खंड शिक्षाधिकारियों से दो दिन में रिपोर्ट मांगी है। इससे पहले 2014 में 10 हजार शिक्षक भर्ती के तहत 66 शिक्षक व शिक्षिकाओं के  बीटीसी के अंकपत्र फर्जी पाए गए थे, इसके अलावा पूर्व सरकार में जूनियर व प्राइमरी स्कूलों में हुई भर्तियों में 38 शिक्षक व शिक्षिकाओं के टीईटी के अंकपत्र फर्जी पाए गए। सभी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है और विवेचना चल रही है।
आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से वर्ष 2004 व 05 में बीएड की डिग्री फर्जी पाए जाने के मामले की जांच एसआईटी ने की थी। इसमें पांच हजार बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई हैं। बेसिक शिक्षा परिषद ने इन दौरान हुई शिक्षक भर्ती की जांच कराने के निर्देश दिए थे। परिषद ने बेसिक शिक्षाधिकारी को 2004-05 में बीएड की डिग्री और अंकपत्रों की जांच कर इनकी रिपोर्ट भेजने को कहा था।

बेसिक शिक्षाधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने इन वर्षों में आगरा विश्वविद्यालय से बीएड डिग्री उत्तीर्ण शिक्षक व शिक्षिकाओं के अंकपत्रों का सत्यापन कराया है। इस मामले में 12 ब्लाकों से सूचनाएं प्राप्त हो गई है। इसमें जिले के 41 शिक्षक व शिक्षिकाओं के बीएड के अंकपत्र व डिग्री फर्जी पाए गए हैं।

बेसिक शिक्षाधिकारी ने सात ब्लाकों सुरसा, कछौना, मल्लावां, अहिरोरी, संडीला भरावन व शाहाबाद के खंड शिक्षाधिकारियों को दो दिन में आगरा विश्वविद्यालय के शिक्षक व शिक्षिकाओं के बीएड के अंकपत्रों व डिग्री की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। उन्होंने बताया कि फर्जी अंकपत्र के सहारे 13 वर्षों से कार्य कर रहे शिक्षक व शिक्षिकाओं को बर्खास्त करने की कार्रवाई बेसिक शिक्षा परिषद को करनी है। इस मामले में वह अपनी रिपोर्ट परिषद को भेज देंगे।
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