इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे बड़ी संख्या में शिक्षक नियुक्ति पा चुके हैं। कई बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने फर्जी प्रमाणपत्र से नियुक्ति पाने वालों पर कार्रवाई भी की है लेकिन, सभी बीएसए ऐसे शिक्षकों की रिपोर्ट परिषद मुख्यालय नहीं भेज रहे हैं।
परिषद ने सभी जिलों से पांच जनवरी तक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। वहीं, मध्य प्रदेश शिक्षा महकमे की टीम भी इस प्रकरण को खंगालने में जुट गई है।
परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पिछले वर्षो में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। उनमें ऐसे शिक्षकों की अच्छी खासी संख्या है जिन्होंने बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन मध्य भारत ग्वालियर मध्य प्रदेश का फर्जी प्रमाणपत्र लगाया है। परिषद ने शिक्षकों को वेतन निर्गत करने से सभी शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन कराने का कई बार निर्देश दिया लेकिन, अफसरों ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। यही नहीं परिषद सचिव संजय सिन्हा ने बीते तीन अक्टूबर को सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया कि मध्य प्रदेश बोर्ड से दसवीं और बारहवीं के प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की जांच करके कार्रवाई की जाए। साथ ही समग्र रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाए। अधिकांश बीएसए ने अब तक रिपोर्ट परिषद मुख्यालय नहीं भेजी है। इस पर परिषद ने दुख जताया है। हालांकि कई जिलों के बीएसए ने फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी पाने वालों पर कार्रवाई की है। 1इस बीच मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग की टीम भी प्रकरण की जांच में जुटी है आखिर फर्जी प्रमाणपत्र कहां से और कैसे निर्गत हो रहे हैं। अफसरों ने परिषद मुख्यालय से भी सभी जिलों की रिपोर्ट मांगी है, ताकि उसकी छानबीन करके दोषियों का पता लगाया जा सके। अब फिर परिषद ने बीएसए को पत्र भेजा है इसमें लिखा कि यदि उनके जिले में मप्र की संस्था से कोई शिक्षक हाईस्कूल या फिर इंटरमीडिएट अंक व प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त हुआ है तो उसका नाम, पिता का नाम, नियुक्ति का नाम, शैक्षिक अभिलेखों का विवरण पांच जनवरी तक हर हाल में भेजा जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रकरण सीबीआइ जांच से जुड़ा है इसलिए लापरवाही करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी होगी।
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परिषद ने सभी जिलों से पांच जनवरी तक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। वहीं, मध्य प्रदेश शिक्षा महकमे की टीम भी इस प्रकरण को खंगालने में जुट गई है।
परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पिछले वर्षो में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। उनमें ऐसे शिक्षकों की अच्छी खासी संख्या है जिन्होंने बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन मध्य भारत ग्वालियर मध्य प्रदेश का फर्जी प्रमाणपत्र लगाया है। परिषद ने शिक्षकों को वेतन निर्गत करने से सभी शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन कराने का कई बार निर्देश दिया लेकिन, अफसरों ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। यही नहीं परिषद सचिव संजय सिन्हा ने बीते तीन अक्टूबर को सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया कि मध्य प्रदेश बोर्ड से दसवीं और बारहवीं के प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की जांच करके कार्रवाई की जाए। साथ ही समग्र रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाए। अधिकांश बीएसए ने अब तक रिपोर्ट परिषद मुख्यालय नहीं भेजी है। इस पर परिषद ने दुख जताया है। हालांकि कई जिलों के बीएसए ने फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी पाने वालों पर कार्रवाई की है। 1इस बीच मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग की टीम भी प्रकरण की जांच में जुटी है आखिर फर्जी प्रमाणपत्र कहां से और कैसे निर्गत हो रहे हैं। अफसरों ने परिषद मुख्यालय से भी सभी जिलों की रिपोर्ट मांगी है, ताकि उसकी छानबीन करके दोषियों का पता लगाया जा सके। अब फिर परिषद ने बीएसए को पत्र भेजा है इसमें लिखा कि यदि उनके जिले में मप्र की संस्था से कोई शिक्षक हाईस्कूल या फिर इंटरमीडिएट अंक व प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त हुआ है तो उसका नाम, पिता का नाम, नियुक्ति का नाम, शैक्षिक अभिलेखों का विवरण पांच जनवरी तक हर हाल में भेजा जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रकरण सीबीआइ जांच से जुड़ा है इसलिए लापरवाही करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी होगी।
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