ग्रामीण डाक सेवक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट जा सकता है डाक विभाग

इलाहाबाद : ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) के मामले में डाक विभाग अब सुप्रीम कोर्ट जाने की कर रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद डाक विभाग के उच्चाधिकारियों की बेचैनी बढ़ गई है।
हाईकोर्ट ने विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह जीडीएस आवेदन प्रक्रिया में संस्कृत के मध्यमा डिग्रीधारियों को भी शामिल करे, जबकि विभाग इसके लिए तैयार नहीं है।
दरअसल, डाक विभाग ने ग्रामीण डाक सेवक पद की नियुक्ति के लिए आनलाइन आवेदन मांगे हैं। यह भर्ती यूपी समेत कुल 26 राज्यों में की जानी है। उत्तर प्रदेश में 30 अक्टूबर से चार दिसंबर तक आनलाइन आवेदन लिए गए। इसी बीच उप्र संस्कृत शिक्षा बोर्ड से मध्यमा की डिग्री लेने वाले अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुहार लगाई कि उन्हें भी ग्रामीण डाक सेवक पद के लिए आवेदन करने की पात्रता प्रदान की जाए। ऐसे में कोर्ट ने डाक विभाग के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल लखनऊ को आदेश दिया कि इस भर्ती में मध्यमा डिग्रीधारियों को शामिल किया जाय और उन्हें तीन सप्ताह की मोहलत भी दी जाय। लेकिन विभाग इसके लिए तैयार नहीं है।

इसलिए बच रहा है डाक विभाग : दरअसल, यह भर्ती देश के 26 राज्यों में होनी है। 10 से अधिक राज्यों में यह चयन प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में अभी यह प्रक्रिया चल रही है। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग के अधिकारी असंमजस में पड़ गए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, मार्च से भर्ती प्रक्रिया चल रही है और कई राज्यों में भर्ती भी हो चुकी है। जिन राज्यों में भर्ती हुई है वहां मध्यमा, मदरसा आदि समकक्ष डिग्रियों को नहीं शामिल किया गया था। यदि अब संस्कृत के मध्यमा डिग्रीधारियों को ग्रामीण डाक सेवक आवेदन के लिए शामिल किया जाएगा तो पूरी प्रक्रिया फिर से करनी पड़ेगी। यही कारण है कि विभाग इसके लिए कतरा रहा है।
हाईकोर्ट ने मध्यमा अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का दिया है निर्देश
समय बीतने के कारण विभाग इसके लिए नहीं हो रहा तैयारग्रामीण डाक सेवक भर्ती प्रक्रियाकई राज्यों में पूर्ण हो चुकी है। अब कोर्ट के निर्देश के संबंध में लखनऊ व दिल्ली में विभाग के उच्चाधिकारी मंथन कर रहे हैं। एमयू अब्दाली, पोस्ट मास्टर जनरल

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