Saturday 30 December 2017

New Year पर लगभग 1 लाख लोगों की चली जाएगी Job, हंगामे की संभावना

इलाहाबाद। नया साल जहां लोगों के लिए खुशियां लेकर आ रहा है, वहीं शिक्षा प्रेरकों के लिए समय कुछ ठीक नहीं हैं। शिक्षा प्रेरकों का अनुबंध 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो रहा है और उत्तर प्रदेश में कार्यरत लगभग एक लाख शिक्षा प्रेरक इसी के साथ अपनी नौकरी से बाहर हो जाएंगे।
केंद्र सरकार ने साक्षर भारत योजना की अवधि नहीं बढ़ाई है, जिसके चलते अब 31 दिसंबर के बाद शिक्षा प्रेरक बेरोजगार हो जाएंगे। साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा के निदेशक एवं राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सचिव अमर नाथ वर्मा ने सभी जिला लोक शिक्षा समिति के सचिव को निर्देश भी जारी कर दिए हैं कि 31 दिसंबर के बाद किसी भी शिक्षा प्रेरक से कार्य ना लिया जाए क्योंकि उनका अनुबंध इसी साल 31 दिसंबर को पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

योजना के बारे में जानें

साक्षर भारत योजना को उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया था, जिसके अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा को भी शामिल किया गया था। मौजूदा समय में यूपी के 65 जिलों में ये योजना संचालित हो रही है और लगभग एक लाख शिक्षा प्रेरकों को संविदा पर नौकरी दी गई थी। शिक्षा प्रेरकों के साथ संविदा पर ही जिला समन्वयक एवं ब्लॉक समन्वयक की भी नियुक्ति की गई थी। शिक्षा प्रेरकों की अनुबंध तिथि पहले ही पूरी हो चुकी थी, लेकिन भारी दबाव के चलते इनका अनुबंध समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा लेकिन ये पहली बार है जब भारत सरकार ने 17 अक्टूबर 2017 को आदेश जारी कर इस योजना की समय अवधि 31 दिसंबर के बाद ना बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसे में ये साफ है कि अब एक लाख के लगभग शिक्षा प्रेरक एक साथ नए साल पर बेरोजगार हो जाएंगे।

हो सकता है हंगामा

इतनी बड़ी संख्या में एक साथ नौकरी से बाहर होने पर शिक्षा प्रेरक जरूर आंदोलन करेंगे और इसकी संभावना पहले भी सरकार को थी, इसीलिए लगातार शिक्षा प्रेरकों का कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा है, लेकिन सरकार पर बढ़ते बोझ और समय सीमा की योजना को अब खत्म करने का मूड सरकार बना चुकी है। सब कुछ पहले योजना के तहत ही है, जिसे अब अमलीजामा पहनाया जा रहा है।

क्या निकलेगा कोई बीच का रास्ता?

फिलहाल शिक्षामित्रों के भारी दबाव के बाद जिस तरह सरकार ने फैसला बदला था, उम्मीद की जा रही है कि उसी तरह शिक्षा प्रेरकों के लिए भी सरकार बीच का कोई रास्ता निकालेगी। फिलहाल नया साल शिक्षकों के लिए चिंताजनक होगा और ये देखने वाला विषय होगा कि आखिर शिक्षा प्रेरकों का भविष्य क्या होगा।
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