अमर उजाला ब्यूरो प्रतापगढ़ बेसिक शिक्षा विभाग में बगैर शिक्षामित्र बने ही सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन कराकर नौकरी हथियाने वाले 31 लोग चिह्नित किए गए हैं। इन लोगों ने 26 महीने तक शासन से वेतन भी लिया। हालांकि विभाग अभी इनके नामों का खुलासा नहीं कर रहा है।
इस खेल में शामिल पूर्व बीएसए और पटल सहायकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
सात मई 2015 को जिले के प्राइमरी स्कूलों में तैनात 1523 शिक्षामित्रों के दूसरे चरण में हुए समायोजन में 31 ऐसेे लोग चिह्नित हुए हैं, जिन्हें शिक्षामित्र नहीं होने के बावजूद समायोजित करते हुए दूसरे स्कूलों में तैनाती दे दी गई। इसका खुलासा वास्तव में सुप्रीम कोर्ट के समायोजन रद्द करने के बाद उस समय हुआ, जब सूबे की योगी सरकार ने शिक्षामित्रों को मूल स्कूलों में भेजने का आदेश जारी कर दिया। 31 शिक्षामित्र ऐेसे मिले जिनका कोई स्कूल खोजे नहीं मिला। फर्जीवाड़े में शामिल ये लोग बेसिक शिक्षा विभाग से 26 माह तक सहायक अध्यापक का वेतन लेते रहे। यहीं नहीं इन शिक्षामित्रों की सेवा पुस्तिका भी तैयार कर दी गई है।
हालांकि पहले विभाग ने ऐसे 165 शिक्षामित्रों को चिह्नित किया था। मगर जिले के 17 ब्लाकों की जांच में खुलासा हुआ कि 134 शिक्षामित्र अन्य ब्लाकों के थे, जिनका तबादला अन्यत्र होने के कारण ब्लाक का नाम गलत हो गया था। ऐसे में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है।
उधर फर्जीवाड़े में चिह्नित शिक्षामित्रों का नाम विभाग ने अभी सार्वजनिक नहीं किया है। फर्जीवाड़े में शामिल लोगों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया गया है। जबाब आने के बाद मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी।
नेताओं और अफसरों की नहीं गली दाल
फर्जीवाड़े की जांच प्रभावित करने के लिए नेताओं और अफसरों ने बहुत दखल दिया। सूबे की सत्ता में बैठे लोगों ने जांच रोकने का प्रयास किया। मगर मामला शासन तक पहुंचने से विभाग इसे दबाने में असफल रहा।
पूर्व बीएसए के खेल से विभाग हतप्रभ
दूसरे चरण में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने में पूर्व बीएसए ने जिस प्रकार खेल किया, उससे विभाग के लोग हतप्रभ हैं। हालांकि वर्तमान में उनके अच्छे कार्यो के लिए उन्हें प्रमोशन दे दिया गया है। हालांकि फर्जीवाड़े का मामला सामने आने पर उन पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
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इस खेल में शामिल पूर्व बीएसए और पटल सहायकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
सात मई 2015 को जिले के प्राइमरी स्कूलों में तैनात 1523 शिक्षामित्रों के दूसरे चरण में हुए समायोजन में 31 ऐसेे लोग चिह्नित हुए हैं, जिन्हें शिक्षामित्र नहीं होने के बावजूद समायोजित करते हुए दूसरे स्कूलों में तैनाती दे दी गई। इसका खुलासा वास्तव में सुप्रीम कोर्ट के समायोजन रद्द करने के बाद उस समय हुआ, जब सूबे की योगी सरकार ने शिक्षामित्रों को मूल स्कूलों में भेजने का आदेश जारी कर दिया। 31 शिक्षामित्र ऐेसे मिले जिनका कोई स्कूल खोजे नहीं मिला। फर्जीवाड़े में शामिल ये लोग बेसिक शिक्षा विभाग से 26 माह तक सहायक अध्यापक का वेतन लेते रहे। यहीं नहीं इन शिक्षामित्रों की सेवा पुस्तिका भी तैयार कर दी गई है।
हालांकि पहले विभाग ने ऐसे 165 शिक्षामित्रों को चिह्नित किया था। मगर जिले के 17 ब्लाकों की जांच में खुलासा हुआ कि 134 शिक्षामित्र अन्य ब्लाकों के थे, जिनका तबादला अन्यत्र होने के कारण ब्लाक का नाम गलत हो गया था। ऐसे में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है।
उधर फर्जीवाड़े में चिह्नित शिक्षामित्रों का नाम विभाग ने अभी सार्वजनिक नहीं किया है। फर्जीवाड़े में शामिल लोगों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया गया है। जबाब आने के बाद मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी।
नेताओं और अफसरों की नहीं गली दाल
फर्जीवाड़े की जांच प्रभावित करने के लिए नेताओं और अफसरों ने बहुत दखल दिया। सूबे की सत्ता में बैठे लोगों ने जांच रोकने का प्रयास किया। मगर मामला शासन तक पहुंचने से विभाग इसे दबाने में असफल रहा।
पूर्व बीएसए के खेल से विभाग हतप्रभ
दूसरे चरण में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने में पूर्व बीएसए ने जिस प्रकार खेल किया, उससे विभाग के लोग हतप्रभ हैं। हालांकि वर्तमान में उनके अच्छे कार्यो के लिए उन्हें प्रमोशन दे दिया गया है। हालांकि फर्जीवाड़े का मामला सामने आने पर उन पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
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