इलाहाबाद 1उप्र लोक सेवा आयोग ने विगत पांच महीने में जितने भी बैकलॉग के रिजल्ट जारी किए हैं उन पर भी सीबीआइ जांच की आंच आएगी। आयोग ने अधिकतर उन्हीं चयन परीक्षाओं के साक्षात्कार कराने के बाद परिणाम जारी किए हैं जिनके आवेदन सपा शासनकाल में सीधी भर्ती के तहत लिए गए थे।
पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव पर अभ्यर्थियों के चयन में धांधली के गंभीर आरोप लगे थे, जबकि जिन प्रतियोगी छात्रों ने भर्तियों की सीबीआइ जांच के लिए जमकर आंदोलन किया था और प्रकरण कोर्ट में ले गए थे उन्हें बैकलॉग के जारी हो रहे परिणामों और अध्यक्ष की कार्यशैली पर भी संदेह है।1गौरतलब है कि उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन में हुई सभी भर्तियों की जांच का उप्र सरकार ने 19 जुलाई को एलान किया था। इसके साढ़े चार महीने बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रलय ने भर्तियों की सीबीआइ जांच का नोटिफिकेशन पिछले दिनों जारी किया है। रीवर फ्रंट घोटाले की जांच के बाद उप्र लोक सेवा आयोग से हुई भर्तियों की जांच शुरू होनी है। फिलहाल यूपी में प्रशासनिक पदों सहित अन्य विभागीय सेवाओं के अंतर्गत हुई 600 से अधिक भर्तियां जांच के दायरे में प्रथम दृष्टया हैं लेकिन आयोग से सपा शासन के पांच वर्ष के कार्यकाल में अधिकतर चयन सीधी भर्ती के जरिए ही हुए। प्रतियोगी छात्रों ने सीधी भर्ती से चयन प्रक्रिया पर अंगुली उठाते हुए व्यापक रूप से धांधली का आरोप लगाया है। 1इस बीच पांच महीने में आयोग ने डिग्री कालेजों व इंटर कालेज में प्रवक्ताओं के सबसे अधिक परिणाम जारी किए। इनके अलावा मुख्य अग्निशमन अधिकारी, अपर निजी सचिव, समीक्षा अधिकारी /सहायक समीक्षा अधिकारी 2014, चिकित्साधिकारी सहित अन्य कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं के परिणाम जारी किए हैं। इन सभी के आवेदन सपा शासन में लिए गए थे साक्षात्कार उप्र लोक सेवा आयोग की वर्तमान कमेटी के निर्णय पर हुए। परीक्षाएं सपा शासन से जुड़ी होने के कारण सीबीआइ जांच की आंच इन पर भी पड़नी तय है। 1प्रथमदृष्टया इन परीक्षाओं की होगी जांच : सपा शासन काल में 2011 से 2015 तक पीसीएस परीक्षाओं से ढाई हजार पदों पर भर्तियां हुईं। इसमें 2011 में एसडीएम और डिप्टी एसपी सहित अन्य श्रेणी के 389 पदों पर, 2012 में 345 पदों पर, 2014 में 650 पदों पर, 2014 में 579 और पीसीएस-2015 परीक्षा के तहत 251 पदों पर भर्तियां हुईं। इसके अलावा पांच साल में लोअर सबआर्डिनेट परीक्षा के तहत 4138 पदों पर भर्तियां जांच के दायरे में होंगी। 1कृषि तकनीकी सहायक : आयोग ने सपा शासन में कृषि तकनीकी सहायकों की परीक्षाएं कराकर 6628 पदों पर भर्ती की। इसमें ओबीसी के आरक्षित पदों पर लंबा खेल होने की शिकायत हुई थी। 1पांच महीने में जारी परिणामों की हो जांच : प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने बताया कि यूपीपीएससी के वर्तमान अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव की शैक्षणिक डिग्रियां संदिग्ध हैं। इनके कार्यकाल में जो भी बैकलॉग के रिजल्ट जारी हुए हैं उनकी शुचिता पर भी संदेह है। इसलिए पूर्व की भर्तियों के अलावा पांच महीने में साक्षात्कार के बाद जो परिणाम जारी किए गए उनकी भी जांच आवश्यक है।
इन विभागों की भी कराई गई हैं परीक्षाएं
उप्र लोक सेवा आयोग ने सपा शासन के दौरान गृह पुलिस, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, नियोजन, उच्च शिक्षा, पुरातत्व एवं संस्कृति, खेलकूद, अधीनस्थ शिक्षा सेवा महिला शाखा(राजकीय इंटर कालेज), समाज कल्याण, वाणिज्य कर, लोक निर्माण विभाग, भूतत्व एवं खनिकर्म, ग्राम्य विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग, व्यावसायिक शिक्षा, उद्योग, हथकरघा वस्त्रोद्योग, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो, नगर विकास, जिला पंचायत, लोक सेवा आयोग, आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी, प्राविधिक शिक्षा, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा।
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पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव पर अभ्यर्थियों के चयन में धांधली के गंभीर आरोप लगे थे, जबकि जिन प्रतियोगी छात्रों ने भर्तियों की सीबीआइ जांच के लिए जमकर आंदोलन किया था और प्रकरण कोर्ट में ले गए थे उन्हें बैकलॉग के जारी हो रहे परिणामों और अध्यक्ष की कार्यशैली पर भी संदेह है।1गौरतलब है कि उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन में हुई सभी भर्तियों की जांच का उप्र सरकार ने 19 जुलाई को एलान किया था। इसके साढ़े चार महीने बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रलय ने भर्तियों की सीबीआइ जांच का नोटिफिकेशन पिछले दिनों जारी किया है। रीवर फ्रंट घोटाले की जांच के बाद उप्र लोक सेवा आयोग से हुई भर्तियों की जांच शुरू होनी है। फिलहाल यूपी में प्रशासनिक पदों सहित अन्य विभागीय सेवाओं के अंतर्गत हुई 600 से अधिक भर्तियां जांच के दायरे में प्रथम दृष्टया हैं लेकिन आयोग से सपा शासन के पांच वर्ष के कार्यकाल में अधिकतर चयन सीधी भर्ती के जरिए ही हुए। प्रतियोगी छात्रों ने सीधी भर्ती से चयन प्रक्रिया पर अंगुली उठाते हुए व्यापक रूप से धांधली का आरोप लगाया है। 1इस बीच पांच महीने में आयोग ने डिग्री कालेजों व इंटर कालेज में प्रवक्ताओं के सबसे अधिक परिणाम जारी किए। इनके अलावा मुख्य अग्निशमन अधिकारी, अपर निजी सचिव, समीक्षा अधिकारी /सहायक समीक्षा अधिकारी 2014, चिकित्साधिकारी सहित अन्य कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं के परिणाम जारी किए हैं। इन सभी के आवेदन सपा शासन में लिए गए थे साक्षात्कार उप्र लोक सेवा आयोग की वर्तमान कमेटी के निर्णय पर हुए। परीक्षाएं सपा शासन से जुड़ी होने के कारण सीबीआइ जांच की आंच इन पर भी पड़नी तय है। 1प्रथमदृष्टया इन परीक्षाओं की होगी जांच : सपा शासन काल में 2011 से 2015 तक पीसीएस परीक्षाओं से ढाई हजार पदों पर भर्तियां हुईं। इसमें 2011 में एसडीएम और डिप्टी एसपी सहित अन्य श्रेणी के 389 पदों पर, 2012 में 345 पदों पर, 2014 में 650 पदों पर, 2014 में 579 और पीसीएस-2015 परीक्षा के तहत 251 पदों पर भर्तियां हुईं। इसके अलावा पांच साल में लोअर सबआर्डिनेट परीक्षा के तहत 4138 पदों पर भर्तियां जांच के दायरे में होंगी। 1कृषि तकनीकी सहायक : आयोग ने सपा शासन में कृषि तकनीकी सहायकों की परीक्षाएं कराकर 6628 पदों पर भर्ती की। इसमें ओबीसी के आरक्षित पदों पर लंबा खेल होने की शिकायत हुई थी। 1पांच महीने में जारी परिणामों की हो जांच : प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने बताया कि यूपीपीएससी के वर्तमान अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव की शैक्षणिक डिग्रियां संदिग्ध हैं। इनके कार्यकाल में जो भी बैकलॉग के रिजल्ट जारी हुए हैं उनकी शुचिता पर भी संदेह है। इसलिए पूर्व की भर्तियों के अलावा पांच महीने में साक्षात्कार के बाद जो परिणाम जारी किए गए उनकी भी जांच आवश्यक है।
इन विभागों की भी कराई गई हैं परीक्षाएं
उप्र लोक सेवा आयोग ने सपा शासन के दौरान गृह पुलिस, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, नियोजन, उच्च शिक्षा, पुरातत्व एवं संस्कृति, खेलकूद, अधीनस्थ शिक्षा सेवा महिला शाखा(राजकीय इंटर कालेज), समाज कल्याण, वाणिज्य कर, लोक निर्माण विभाग, भूतत्व एवं खनिकर्म, ग्राम्य विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग, व्यावसायिक शिक्षा, उद्योग, हथकरघा वस्त्रोद्योग, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो, नगर विकास, जिला पंचायत, लोक सेवा आयोग, आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी, प्राविधिक शिक्षा, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा।
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