आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष
जितेंद्र शाही और अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी
की एकलपीठ सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता की दलील थी कि 1,65,157
शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर
दिया है। इसके बाद शिक्षामित्रों को दस हजार मानदेय पर उनके मूलपदों पर
वापस लेते हुए सरकार ने टीईटी उत्तीर्ण का मौका दिया।
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जुलाई 2017 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अनिवार्य शिक्षा कानून 2009
की 23(3) में संसद ने संशोधन कर दिया। नए संशोधन के अनुसार 31 मार्च 2019
के बाद किसी भी विद्यालय में अप्रशिक्षित अध्यापक नहीं पढ़ाएंगे। अभी जो
अप्रिशिक्षित अध्यापक पढ़ा रहे हैं, उनको आवश्यक योग्यता हासिल करने के लिए
चार वर्ष की छूट देने का भी निर्णय लिया गया, ताकि वह 31 मार्च 2019 से
पहले प्रशिक्षण और अन्य योग्यता प्राप्त कर सकें।
शिक्षामित्रों
का कहना है कि चूंकि संशोधन कानून सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया है,
इसलिए शिक्षामित्र भी जिस रूप में भी काम कर रहे हैं उनको चार साल तक काम
करने का अधिकार है। 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने के लिए
स्नातक, बीटीसी प्रशिक्षण और टीईटी पास होना अनिवार्य है। अधिकांश
शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण नहीं हैं। इस बीच यदि यह भर्ती की जाती है तो
पर्याप्त योग्यता न होने के कारण शिक्षामित्र उसमें शामिल नहीं हो सकेंगे।
इससे सुप्रीम कोर्ट का आदेश और नया संशोधन उनके लिए अर्थहीन हो जाएगा।
भविष्य में पद रिक्त न रह जाने के कारण योग्यता हासिल कर लेने का भी कोई
लाभ नहीं मिलेगा, इसलिए भर्ती प्रक्रिया को रोका जाए।
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