इलाहाबाद
: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 के लिए करीब 80 हजार
फर्जी परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था। मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के कुछ
प्रकरण सामने आने के बाद विस्तृत जांच हुई तो फर्जी अभ्यर्थियों का आंकड़ा
80 हजार तक पहुंच गया है।
इन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं
मिलेगी, बोर्ड प्रशासन प्रवेशपत्र जारी नहीं करेगा। यही
नहीं फर्जी अभ्यर्थियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने से अब संबंधित जिला
विद्यालय निरीक्षकों पर भी कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। 1माध्यमिक
शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की 2018 परीक्षा के लिए इस बार भी ऑनलाइन
परीक्षा फार्म भरवाए गए थे। इसमें हजारों ऐसे अभ्यर्थियों ने दावेदारी कर
दी, जिन्होंने तमाम तथ्य छिपाए और गलत अभिलेख लगाए। परीक्षा के चंद माह
पहले मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के प्रकरण अफसरों के हाथ लगे। वहीं, यह भी
चर्चा हुई कि पिछले वर्ष अलीगढ़ व आगरा आदि जिलों के करीब 17 हजार ऐसे ही
अभ्यर्थियों ने परीक्षा दे दी थी, बाद में उन पर कार्रवाई करनी पड़ी। 1ऐसे
में पहले ही फर्जी परीक्षार्थियों को रोकने के लिए पांचों क्षेत्रीय
कार्यालय इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, बरेली और गोरखपुर में जांच शुरू हुई।
पहले यह आंकड़ा 50 हजार परीक्षार्थियों तक था लेकिन, जैसे-जैसे जांच बढ़ी
प्रकरण खुलते गए।1परीक्षार्थियों की संख्या भी घटेगी 1बोर्ड की 2018 की
परीक्षा में हाईस्कूल में 37 लाख 12 हजार 508 व इंटर में 30 लाख 17 हजार 32
सहित कुल 67 लाख 29 हजार 540 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए थे। इनमें से करीब
अस्सी हजार फर्जी निकले हैं, ऐसे में परीक्षार्थियों का आंकड़ा घटकर करीब
66 लाख 50 हजार के इर्द-गिर्द रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की अपेक्षा
करीब तीन लाख अधिक होगा।जांच पूरी, डिलीट हो रहे आवेदन1बोर्ड ने इसकी जांच
पूरी कर ली है और अब सभी कार्यालयों ने न केवल बोर्ड मुख्यालय को रिपोर्ट
सौंप दी है, बल्कि ऐसे परीक्षार्थियों के आवेदन वेबसाइट से डिलीट भी किए जा
रहे हैं। इसीलिए बोर्ड गुरुवार को क्षेत्रीय कार्यालय वार फर्जी
परीक्षार्थियों की संख्या घोषित होगी। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया
कि सभी कार्यालयों की रिपोर्ट संकलित करके तैयार हो रही है लेकिन, फर्जी
परीक्षार्थियों की संख्या करीब अस्सी हजार तक पहुंची है।
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