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स्केलिंग पर निर्णय आयोग के लिए चुनौती: शीर्ष कोर्ट की गंभीर टिप्पणी से यूपीपीएससी की डगर कठिन, प्रक्रिया पुराने र्ढे पर रखने से हो सकती है मुसीबत

पीसीएस परीक्षा में संघ लोकसेवा आयोग के पैटर्न को अपनाने जा रहे उप्र लोकसेवा आयोग के सामने चुनौती आ गई है कि वह स्केलिंग पद्धति में बदलाव करते हुए इसे पारदर्शी बनाए या फिर अपने पुराने र्ढे पर कायम रहे।
आयोग की स्केलिंग पद्धति पर शीर्ष कोर्ट की टिप्पणी के बाद यह बड़ा सवाल उभरा है।
यूपीपीएससी की स्केलिंग पद्धति मनमानी और दोषपूर्ण होने पर कोर्ट की मुहर लगने से सीबीआइ के लिए भी जांच की राह आसान हो गई है।

गौरतलब है कि पीसीएस परीक्षा 2018 में आयोग ने यूपीएससी का पैटर्न लागू करने का निर्णय लिया है। इसमें साक्षात्कार के नंबर सहित वैकल्पिक विषय चयन में बदलाव सहित कई अन्य निर्णय हुए हैं। जबकि सभी विषयों में एक समान नंबर देने के लिए स्केलिंग की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हो सका है। 1996 से लागू स्केलिंग पद्धति से प्रतियोगी छात्रों को कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन, 2004 में धनंजय सिंह व अन्य की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्केलिंग पद्धति दोषपूर्ण होने की बात कही गई। वहीं आयोग में पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के कार्यकाल के दौरान स्केलिंग की आड़ में मेधावी प्रतियोगियों के नंबरों से छेड़छाड़ कर उन्हें सरकारी सेवा में आने से वंचित करने और जाति विशेष के अयोग्य प्रतियोगियों को मनमाने तरीके से आगे बढ़ाने पर प्रतियोगियों ने विरोध किया। खुद को फंसते देख पूर्व अध्यक्ष ने स्केलिंग का फामरूला चोरी कर सार्वजनिक करने का आरोप लगाते हुए अज्ञात के खिलाफ 2015 में इलाहाबाद के सिविल लाइंस थाने में एफआइआर दर्ज करा दी। स्केलिंग में दोष होने के प्रतियोगियों के आरोप पर कोई विचार न कर आयोग ने स्केलिंग की पुरानी व्यवस्था को कायम रख भर्तियों में भ्रष्टाचार के कलंक को नहीं धोया।

आज आ रहे सीबीआइ के एसपी

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद :आयोग से पांच साल के दौरान हुई भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन मंगलवार को इलाहाबाद में होंगे। कई प्रतियोगियों ने सीबीआइ अफसर से अपनी शिकायतें दर्ज कराने की तैयारी कर ली है।

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