टेट-२०१७ मामले के कुछ प्रमुख बिन्दु जिससे लाखों अभ्यर्थी पीड़ित
सर्वप्रथम टेट-२०१७ सरकार द्वारा आनन फानन में कराये जाने
के कारण कई समस्याओं को खड़ा किया। जिससे लाखों अभ्यर्थियों की जिन्दगी
दांव पर तो लग ही गई। कई तो इस सदमें से आज तक बाहर नहीं निकल पाये, कई तो
स्वर्ग सिधार गए।
टेट-२०१७ में ३४९१९२ रजिस्टेशन हुआ जिससे (४००₹ प्रति सामान्य व पिछड़ी से, २००₹ प्रति अ०जा०,अ०ज०जा० से) सरकार के खजाने में लगभग ११ करोड़ रूपया पहुँच गया लेकिन जब पेपर तैयार कराने की बारी आई तो जैसे किसी चपरासी से पेपर बनवा दिया गया हो. जिससे १५० प्रश्नों में से लगभग ३० प्रश्नों में से कुछ पूरी तरह गलत, कुछ में तीन विकल्प सही, कुछ में दो विकल्प सही, किसी तरह से परीक्षा भी करा ली गई, जब प्रश्नों की आपत्तियाँ ली गई तो PNP ने कहा कि इन प्रश्नों का निस्तारण विषय विषेशज्ञ कमेटी द्वारा किया जाएगा लेकिन कमेटी बनी ही नहीं थी। मामला कोर्ट में जाने पर इन्होंने केवल एक प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर करा लिए। इन्हीं के काउंटर के मुताबिक ६४ प्रश्नों पर आपत्तियाँ आईं. जिसमें इन्होंने ५ प्रश्नों को गलत माना और उन पर कामन नंबर दिए। *एक खास बात और यहाँ ग्रंथियों के आधार पर चर्चा किसने की। प्रश्न में जो PNP की विषय विषेशज्ञ कमेटी थी उसने पहले कैनन को सही माना, दूसरी बार क्रेश्मर को सही माना, तीसरी बार किसी को भी सही नहीं माना,* इन विषय विषेशज्ञ को क्या माना जाय, घर का घरौंदा तैयार कर रहे थे जो चाहे जितनी बार बनायें या उजाड़े, यहाँ लाखों की जिन्दगी और मौत का सवाल जब हो, जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी यानी PNP द्वारा टेट-२०१४ की गाइड लाइन को एडॉप्ट करने की बात कही गई है। जिसमें प्रत्येक विषय १-बाल मनोविज्ञान, २-हिन्दी, ३-अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत (वैकल्पिक विषय), ४-गणित, ५-पर्यावरण में १५-१५ नंबर के बौद्धिक क्षमता के ७५ प्रश्न पूछने थे जिसमें शायद १० भी पूरे हुए हों। चलो कोई बात नहीं,
आगे देखते हैं। *गाइड लाइन में साफ लिखा हुआ कि हिन्दी भाषा में २ अनसीन पैसेज पूछे जाएंगे।* महोदया द्वारा एक अनसीन पैसेज दिया गया जिसमें मात्र ५ प्रश्न ही दिए गये। चलो यहाँ सभी को बराबर अवसर मिल.
*लेकिन जब दूसरी भाषा जो वैकल्पिक विषय का चुनाव करने की बात आई तो उसमें अंग्रेज़ी वालों से १० प्रश्न, उर्दू वालों से ४ प्रश्न, संस्कृत वालों से ३ प्रश्न ही पूछे गये।* और *टेट-२०१७ की गाइड लाइन में साफ लिखा हुआ है कि परीक्षा प्रश्न पत्रों के निर्माण से लेकर रिजल्ट तैयार कराने की पूरी जिम्मेदारी PNP की है।* और काउंटर में यह गलती पेपर सेटर के ऊपर डाल दिया जाता है
इतना ही नहीं कोर्ट के आदेश को मानने वाली सरकार जो केवल सोशल मीडिया पर बयान करती रहती है। *आज सरकार सिंगल बेंच के आर्डर को २ बार डबल बेंच में चैलेंज कर चुकी है।*
आखिर क्या बिगाड़ा है इन १.७० लाख शिक्षामित्रों ने, और रही सही कसर ४५-५० साल वालों को २०-२५ साल वालों के साथ एक लिखित परीक्षा भी ठोंक डाली, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने केवल मात्र टेट के कारण बाहर किया, जिसमें इतनी बाधाओं को झेलते हुए लगभग ४० हजार से अधिक टेट भी पास हो गए।
अगर सरकार अपनी गलती मान लेती और टेट गाइड लाइन के आधार पर कराती तो आज पहले ही चरण में लाखों शिक्षामित्र टेट भी पास होते, और कोर्ट के अनुसार भर्ती करते जैसा उस समय (१५वाँ संशोधन) के अनुसार निर्णय हुआ था। जो टेट पास होता मेरिट के आधार पर चयन करते. लेकिन जब सरकार को केवल द्वेष ही निकलना है तो कुछ भी कर सकती है।
आज शिक्षामित्र निरंतर अवसाद और निराशा के कारण अपने प्राणों को त्याग रहा है। उनके जीवन को कोई सहारा देने वाला दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।
अभी भी समय है। यह सभी भारत के नागरिक है। इनको भी जीने का अधिकार है। इनके भी परिवार हैं। इन्होंने २००१ से इस विभाग की सेवा की है। तब तक इन्होंने तीनों सरकारों का शासन काल देखा है। आज मानवता पर प्रश्न चिह्न लग रहा है। जो कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। यहाँ लाखों परिवारों के जिन्दगी और मौत का सवाल है।
जबकि सब कुछ कोर्ट ने सरकार के हाथ में दे रखा है.
*न्याय के इन्तजार में एक पीड़ित*
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