Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

365 दिन की हुई यूपी की योगी सरकार, कानपुर की सूरत-सीरत जस की तस बरकरार

कानपुर। उत्तर प्रदेश सरकार की योगी सरकार ने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। इस दौरान खुद सीएम योगी आदित्यनाथ कईबार शहर आए और अनेक योजनाओं के जरिए कानपुर की सूरत और सेहत बदलने के वादे किए। लेकिन जमीन में हालात पहले की तरह मौजूद है।
गंगा में एक लोट पानी साफ नहीं हुआ, तो एक भी बंद मिल का ताला नहीं खुला, अपराध थपने के बजाए बढ़ गए है। मेट्रो और स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी हैं। दक्षिण की करीब 20 लाख से ज्यादा आबादी सड़क, पानी और बिजली की समस्या से जूझ रही है तो पढ़ा लिखा युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की तरफ पलायन कर चुका है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां की 10 में से सात सीटों पर भाजपा जीती, जबकि लोकसभा की दोनों सीटों पर कमल का कब्जा है। कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी नगर से सांसद हैं, बावजूद कानपुर के दर्द का इलाज किसी ने नहीं किया। लोगों को उम्मीद है कि 2019 से पहले सीएम की नजर मैनचेस्टर पर पड़ेगी और यहां भी विकास के पंख लगेंगे।
एक लोटा गंगा का जल नहीं हुआ निर्मल
देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की बागडोर गोरखपुर मथ के महंत योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई तो कानपुर की 40 लाख आबादी खुश हुई। सीएम बनने के बाद वह शहर आए और मेट्रो सहित अनेक योजनाएं आमजन को देने को कहा। जिसमें प्रमुख रूप से किसानों का कर्जामाफी था, लेकिन आज भी सैकड़ों किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ। सीएम ने शहर को गड्ढा मुक्त करने की घोषणा की, लेकिन दक्षिण का क्षेत्र गड्ढो से पटा पड़ा है। गंगा की सफाई के लिए खुद सीएम योगी ने बिठूर स्थित ब्रम्हाघाट पर आरती के बाद ऐलान किया था कि कुम्भ मेले तक कानपुर की गंगा का जल निर्मल कर दिया जाएगा, पर अभी तक एक लोटा गंगा का जल निर्मल नहीं हुआ। हैलट और उर्सला अस्पताल में एम्स की तरह सुविधाएं देने का वादा किया पर वहां तीमारदार अपने मरीज को ले जाने में कतराते हैं। उर्सला में इलाज के लिए आए महाराजपुर निवासी रघुनंदन ने बताया कि अस्पताल पहले की तरह ही चलता है, हां दिवारों का रंग बदला-बदला नजर आ रहा है। अफसरों ने इसे भगवा का सीएम के पास अपने काम का सदेश इसी के जरिए भिजवाया है।
शिक्षामित्र सरकार से नाराज
शिक्षामित्रों के लिए योगी सरकार ने कुछ नहीं किया। ऐसा शिक्षामित्र लगातार आरोप लगा रहे हैं। शिक्षामित्रों को समायोजित करने का रास्ता सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया, तब से लेकर आज तक कानपुर जनपद के शिक्षामित्र भाजपा सरकार के खिलाफ हैं। शिक्षामित्र दुष्यंत यादव ने बताया कि जिले में 2434 शिक्षामित्र नौकरी से बेदखल कर दिए गए हैं। जिनके सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। योगी सरकार यदि चाहती तो शिक्षामित्रों को जॉब मिल सकती थी, लेकिन अन्य दलों की भांति उन्होंने भी सियासत की। बताया करीब 1450 शिक्षामित्रों का समायोजन भी हो गया था, बावजूद उन्हें स्कूल से बाहर किया गया। कहा, हमलोग कई सालों से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, इसलिए अब कोई दूसरा कार्य भी नहीं कर सकते। टीईटी सहित अनेक नियमों को लाकर सरकार ने हमारे पेट पर पैर मारा है।
एशिया की पहली कपड़ा मिल कानपु में चालू हंई थी
नहीं खुले मिलों के ताले
कानपुर में सूती कपड़े की स्थापना 1862 में हुई थी, जो एशिया की पहली मिल कहलाई। श्हर की पहली कपड़ा मिल एल्गिन मिल के नाम से चालू हुई थी। कानपुर में सार्वजनिक क्षेत्र की ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (बीआईसी) और नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन (एनटीसी) के अलावा निजी क्षेत्र की तमाम कपड़ा मिलें जब चलती थीं, तो यहां प्रतिदिन न केवल लाखों मीटर कपड़ा तैयार होता था बल्कि इनकी धड़धड़ाती आवाज के साथ मजदूरों की धड़कनें भी चलती थीं। इन मिलों में काम करना गौरव की बात होती थी। कानुपर की स्वदेशी कॉटन मिल में काम कर चुके अर्जुन कुशवाहा ने बताया कि गंगा के किनारे होने की वजह से यहां कपास का अच्छा उत्पादन होता था। इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलती थी। अर्जुन कहते हैं बीते ढाई दशक में यहां एक के बाद एक मिलें बंद कर दी गईं। अब लाल इमली में भी तालाबंदी की नौबत आ गई है। जानकारी मिली है कि जल्द ही कर्मचारियों को वीआरएस देकर मिल को बेच दिया जाएगा। अर्जुन ने बताया कि उद्योगमंत्री सतीश महाना और हथकरघा मंत्री सत्यदेव पचौरी कानपुर से जीत कर विधायक चुने गए, बावजूद उन्होंने अपनी तरफ से कोई पहल नहीं की।
अपराधी बेलगाम, आंसू बहा रहा किसान
एक साल बीत जाने के बाद कानपुर में अपराध थमने के बजाए बढ़े हैं। कानपुर के इतिहास की पहली बैंक लूट योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई तो एक पत्रकार को मौत के घाट उतारा गया। हरदिन महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और रेप की वारदातें होती हैं। सीएम का रोमियो पिछले आठ माह से सड़क पर नहीं दिखाई दिया। वहीं गांवों की हालत पहले से ज्यादा खराब हो गई है। इस वर्ष बारिश कम होने के चलते गेहूं सहित अन्य फसलें बर्बाद हो गई हैं। सिम्मरनपुर के किसान रंजीत मिश्रा ने बताया कि एक बीघे गेहूं की खेती करने में करीब पांच से छह हजार रूपए खर्च आता है, पर बारिश कम होने के चलते मुनाफा तो दूर की बात मुलधन भी निकलना असंभव है। योगी सरकार से आस है कि वह लागत का डेढ़ गुना पैसा देंगे

sponsored links:

Post a Comment

0 Comments

latest updates

latest updates