लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक साल पूरे होने का जश्न मना रही है, विज्ञापनों में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं,वहीं प्रदेश के करीब 16 हजार परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से समायोजन रद्द किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के करीब 16 हजार परिषदीय शिक्षा मित्रों को गृहस्थी की गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया। कई शिक्षा मित्रों के हालात तो इतने बदतर हैं कि अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं। समायोजन रद्द होने के बाद 25 जुलाई के बाद इन शिक्षा मित्रों के खाते में सरकार की तरफ से एक भी रुपया मानदेय के तौर पर नहीं दिया गया।
योगी सरकार के 1 साल के जश्न के बीच 16 हजार परिवारों में मातम
ये शिक्षा मित्र अब तक इस आस में उधार लेकर काम चला रहे थे कि देर-सवेर वेतन उनके खातों में आएगा लेकिन अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि साहूकारों ने भी शिक्षा मित्रों को उधार देने से मना कर दिया है। प्रदेशभर में दो तरह के शिक्षा मित्र विद्यालयों में शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। कई शिक्षा मित्र सर्व शिक्षा अभियान के तहत आते हैं तो करीब 16 हजार शिक्षा मित्र, बेसिक शिक्षा परिषद के तहत आते हैं। 25 जुलाई के बाद प्रदेश सरकार ने अब तक इनके मानदेय के मद में धन आबंटित ही नहीं किया है जिसकी वजह से इनके घरों में सन्नाटा पसरा है।
एक तो समायोजन रद्द होने की मार ये शिक्षा मित्र पहले से ही झेल रहे थे, ऊपर से जो बचा-खुचा वेतन 10 हजार रुपए मानदेय मिल रहा था वो भी आठ महीने से ना मिलने से 16 हजार परिवार बदतर स्थिति में पहुंच गए हैं। ये शिक्षा मित्र अपने विभाग से लेकर तमाम उपयुक्त मंचों पर इसकी शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अगर हालात यही रहे तो कई परिवारों में खुदकुशी की नौबत तक आ चुकी है।
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