68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में क्वालीफाइंग अंकों की अर्हता को चुनौती

68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में क्वालीफाइंग अंक अनिवार्य किए जाने की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। बुधवार को इस मामले में बहस के दौरान कोर्ट ने बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में किए गए 20वें संशोधन और उसके बाद हुए सभी संशोधनों से संबंधित प्रपत्र तलब कर लिए हैं। मोहित, मनोज सहित अन्य तमाम याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र सुनवाई कर रहे हैं।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे और सीमांत सिंह ने पक्ष रखा। याचीगण का कहना था कि वह शिक्षामित्र हैं, जिनका सहायक अध्यापक पद पर समायोजन सुप्रीमकोर्ट ने रद्द कर दिया है। मगर कोर्ट ने उनको अर्हता प्राप्त करने के बाद वेटेज देने और दो अवसर देने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के लिए नियमावली में 20वां संशोधन करके शिक्षक भर्ती परीक्षा और उसमें न्यूनतम क्वालीफाइंग अंकों की अनिवार्यता जोड़ दी है। यह अनिवार्यता जनरल और ओबीसी के लिए 45 अंक और एससी अभ्यर्थियों के लिए 40 अंकों की है।

याचीगण का कहना है कि उनको मिलने वाला वेटेज परीक्षा के बाद मिलेगा, मगर परीक्षा में ही क्वालीफाइंग अंक अनिवार्य होने से याचीगण पहले चरण ही में असफल हो जाएंगे ऐसे में वेटेज का उनके लिए कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह 20वें संशोधन और उसके बाद हुए सभी संशोधनों का रिकार्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट में दाखिल कई अन्य याचिकाओं विद्याचरण शुक्ल और अरुण कुमार आदि में सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि शिक्षक भर्ती परीक्षा के पूरे मामले का सरकार ने पुनर्वालोकन किया है। इसमें से कुछ संशोधनों को कैबिनेट में मंजूरी दे दी गई है। इसे सरकार शीघ्र ही अधिसूचित करेगी। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने सुनवाई की। अधिवक्ता आरएन सिंह, सीमांत सिंह, अनिल बिसेन आदि ने इस पर पक्ष रखा।
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