1.65 लाख टीचरों की भर्ती में भी फंसा पेंच, कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी भर्तियां

इलाहाबाद. एक लाख 65 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के खिलाफ शिक्षा मित्रों की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई अब 22 मार्च को होगी। ऐसे ही मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की खण्डपीठ कर रही है।
आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन कुशीनगर की याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी ने टीचरों की इस भर्ती को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है।

याची अधिवक्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों का समायोजन अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है। किंतु समायोजित शिक्षा मित्रों को लगातार दो वर्षों में टीईटी सहित सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की योग्यता हासिल करने का मौका दिया है। राज्य सरकार व केंद्र सरकार शासनादेश व संशोधन कानून के चलते शिक्षा मित्रों को योग्यता हासिल करने के बाद नियुक्ति देने की व्यवस्था की है।

याची एसोसिएशन की आशंका है कि यदि शिक्षक के सभी पदों को भर लिया गया तो उन्हें अवसर नहीं मिलेगा। जिससे उनके अधिकारों का हनन होगा। फिलहाल लखनऊ खण्डपीठ ने शिक्षक भर्ती पर 2017 टीईटी परिणाम की खामियों के चलते सहायक अध्यापक भर्ती रोक दी है। अब शिक्षा मित्रों की याचिका ने भी शिक्षक भर्ती का पेंच फंसा दिया है। फिलहाल एकलपीठ ने सुनवाई 22 मार्च तक के लिए टाल दी है।

जननी शिशु सुरक्षा के जांच की मांग में याचिका
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करने में धांधली की हाई लेबल कमेटी गठित कर जांच कराने की मांग में दाखिल याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है और याचिका की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने विश्व मानव सेवा समर्पण संस्थान इलाहाबाद की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि इस योजना के तहत सरकार गर्भवती महिलाओं व जन्मे बच्चों को मुफ्त पौष्टिक भोजन देती है। किन्तु योजना पर ठीक से अमल न कर घपला किया जा रहा है।

याचिका में इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश भी जारी करने की मांग की गयी। याचिका पर अधिवक्ता शशि शेखर मिश्र ने बहस की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिका में उठाये गये मुद्दों को गंभीरता से लिया और योजना पर ठीक से अमल न करने पर नाराजगी व्यक्त की।

याची का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केन्द्र सरकार मातष्त्व व शिशु मष्त्यु दर में कमी लाने के लिए बाल सुरक्षा योजना, एकीकष्त बाल विकास योजना, जननी सुरक्षा योजना , जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम को संचालित के लिए करोड़ों की आर्थिक मदद राज्य सरकार को भेज रही है। सरकारी अस्पतालों की बदहाली के चलते योजना पर ठीक से अमल नहीं किया जा रहा है और लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा है।


याची का कहना है कि 2017-18 में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के मद में केन्द्र सरकार ने 81 करोड़ रूपये स्वीकष्त किये हैं, जिसमें से 47 करोड़ 44 लाख 16 हजार रूपये की प्रथम किश्त राज्य सरकार को दी गयी है। यह राशि जिले एवं ब्लाॅक स्तर पर स्वास्थ्य इकाईयों को आवंटित किये गये हैं। किन्तु गर्भवती महिलाओं को निर्धारित खुराक नहीं दी जा रही है।
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