कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई वैधानिक बाधा है तो संबंधित अधिकारी अभ्यर्थी का पक्ष सुनकर सकारण आदेश पारित करें। बलिया के नूर हसन मंसूरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दिया।
25 जुलाई 2017 को सुप्रीमकोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द कर दिया। इसके बाद याची ने 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में नियुक्ति देने के लिए आवेदन किया, मगर बेसिक शिक्षा विभाग ने उसका प्रत्यावेदन यह कहकर निरस्त कर दिया कि नियुक्ति के एक वर्ष के भीतर ज्वाइन न करने के कारण अब उसे नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। याची का कहना था कि विधानसभा चुनाव के कारण चार जनवरी 2017 को प्रदेश में आचार संहिता लग गई, जिसके तहत नई नियुक्तियां रुक गईं। मार्च 2017 में नई सरकार बनी और उसने 23 मार्च 2017 को अगले आदेश तक के लिए सभी चयन प्रक्रिया रोक दी। हाईकोर्ट ने तीन नवंबर 2017 को यह रोक समाप्त कर दी। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि याची ने आवेदन करने में विलंब किया है। 23 मार्च से तीन नवंबर 2017 तक की अवधि को नहीं जोड़ा जा सकता है। कोर्ट ने इस आदेश के आलोक में अन्य तमाम जिलों महराजगंज, देवरिया, फर्रुखाबाद, बदायूं, शाहजहांपुर, सीतापुर, कुशीनगर, कन्नौज आदि से दाखिल सैकड़ों याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है।
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