शिक्षामित्रों को नियुक्ति देने का आदेश, होली से पहले कोर्ट ने दी बहुत बड़ी राहत, फिर बनेंगे सहायक अध्यापक

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के उन शिक्षामित्रों को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है जो 16,848 गणित-विज्ञान के सहायक अध्यापक भर्ती में सेलेक्ट हुए थे। हाईकोेर्ट ने इन शिक्षामित्रों को गणित-विज्ञान की सहायक अध्यापक भर्ती में खाली पदों पर नियुक्ति देने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने के बाद हाईकोर्ट का ये बड़ा फैसला आया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद फर्रुखाबाद, सीतापुर, कन्नौज, महराजगंज, देवरिया, बदायूं, शाहजहांपुर, कुशीनगर समेत तमाम जिलों से दाखिल सैकड़ों याचिकाओं का निस्तारण हो गया है।

16448 सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल हुए थे ये शिक्षामित्र
आपको बता दें कि शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई लीगल रुकावट है तो संबंधित अधिकारी अभ्यर्थी का पक्ष सुनकर कारण के साथ आदेश पारित करें। वहीं याची के वकील सीमांत सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि इन शिक्षामित्रों की शुरुआती नियुक्ति शिक्षामित्र के पद पर हुई थी। इसके बाद इनको सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर लिया गया। उसी समय 16448 सहायक अध्यापक पद के लिए विज्ञापन जारी हुआ। जिसमें जो शिक्षामित्र जरूरी अर्हताओं के साथ टीईटी पास थे, वे भी 16448 शिक्षक भर्ती में शामिल हुए। जिसमें ये शिक्षामित्र भी चयनित हुए। लेकिन उस दौरान ये चयन प्रक्रिया अदालत में विचाराधीन थी। इसलिए इन शिक्षामित्रों ने 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में नियुक्ति नहीं ली और अपना समायोजन करवा लिया थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सहायक अध्यापकों का समायोजन किया था रद्द

वहीं 25 जुलाई 2017 को सुप्रीमकोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द कर दिया। इसके बाद याची ने 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में नियुक्ति देने के लिए आवेदन किया, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने उनका प्रत्यावेदन यह कहकर निरस्त कर दिया कि नियुक्ति के एक साल के अंदर ज्वाइन न करने के कारण अब उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। जिसपर याची के वकील का कहना था कि विधानसभा चुनाव की वजह से 4 जनवरी 2017 को प्रदेश में आचार संहिता लग गई, जिसके तहत नई नियुक्तियां रुक गईं। मार्च 2017 में नई सरकार बनी और उसने 23 मार्च 2017 को अगले आदेश तक के लिए सभी चयन प्रक्रिया रोक दी। लेकिन हाईकोर्ट ने 3 नवंबर 2017 को यह रोक समाप्त कर दी। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि याची ने आवेदन करने में देरी की है। याची के मुताबिक 23 मार्च से 3 नवंबर 2017 तक के समय को उसमें नहीं जोड़ा जा सकता है।

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