लखनऊ: बेसिक स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत दो अप्रैल से हो रही है। मगर
विभाग ने अपनी पुरानी व्यवस्था में जरा भी सुधार नहीं किया। इसके चलते
बच्चों को नए सत्र में फटी-पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करनी होगी। यह भी
संभव है कि बच्चों को किताबों के बिना ही कई माह बिताने पड़ें।
1बीते वर्ष
जैसा ही इस बार भी हाल : बीते साल भी कई परिषदीय स्कूल में एक ही किताब से
दो से तीन बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ी थी। वहीं कई स्कूलों में किताबों के
एक पुराने सेट से ही पूरी क्लास ने पढ़ाई की। बेसिक शिक्षा विभाग की
लापरवाही के चलते परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को हर साल इस
परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है। आलम यह रहा कि बीती अर्धवार्षिक
परिक्षाओं तक 50 प्रतिशत किताबें ही स्कूलों को उपलब्ध हो पाईं थी। 1अभी
किताबों की छपाई में लगेगें 90 से 120 दिन : पाठ्य पुस्तकों की छपाई के
बाबत शहर के एक प्रकाशक का कहना है कि यदि किसी फर्म को छपाई का काम आवंटित
किया जाता है तो किताबें छपने में 90 से 120 दिन तो लग ही जाते हैं। ऐसे
में यदि मार्च में प्रकाशन का वर्क ऑर्डर हुआ है तो पुस्तकों को वितरण
जुलाई माह तक ही संभव हो सकेगा।
दो अप्रैल से शुरू हो रहा सत्र, बच्चों को पुरानी किताबों से ही चलाना होगा काम
जून तक पूरी होगी छपाई, ऐसे में गर्मी की छुट्टियों के बाद ही मिलेंगी किताबें
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि करीब 20 दिन
पूर्व टेंडर हो चुका है। छपाई का काम भी जल्द ही पूरा करने के निर्देश दिए
गए हैं। जून तक यह कार्य पूरा हो जाएगा। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद स्कूल
खुलते ही बच्चों को किताबें वितरित कर दी जाएंगी।
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