इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा की
तैयारियां अंतिम चरण में हैं। छह माह से यह प्रक्रिया चल रही है लेकिन, अब
भी पाठ्यक्रम को लेकर अभ्यर्थियों में असमंजस बना है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद ने लिखित परीक्षा का
पाठ्यक्रम तैयार किया, उसमें संशोधन करके हिंदी व अंग्रेजी के खंड में
संस्कृत भाषा को भी जोड़ दिया गया है। अब परेशानी यह है कि परीक्षा में
संस्कृत के कितने अंकों के प्रश्न पूछे जाएंगे, इसका वाजिब जवाब नहीं मिल
रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर पुराना
पाठ्यक्रम ही दिख रहा है। संशोधित पाठ्यक्रम क्यों अपलोड नहीं हुआ। इसे
कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। ऐसे ही परीक्षा में उर्दू भाषा को
शामिल न करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। अभ्यर्थी का
कहना है कि डीएलएड व टीईटी आदि में सब जगह उर्दू है, तब इस भर्ती से उर्दू
को क्यों बाहर किया गया। इससे उर्दू पढ़ने वालों का नुकसान होगा। इस मामले
की बुधवार को हाईकोर्ट सुनवाई होगी। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से व्यक्तिगत
हलफनामा मांगा है।1यही नहीं जो शिक्षामित्र पहले पासिंग मार्क्स को कम
करने की मांग कर रहे थे, अब वही कम हुए उत्तीर्ण अंक का विरोध कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि सामान्य व पिछड़ा वर्ग का पासिंग मार्क्स 33 फीसद तो सही
है लेकिन, एससी-एसटी का उत्तीर्ण प्रतिशत 30 फीसद क्यों किया गया है,
क्योंकि किसी भी परीक्षा में एससी-एसटी का इतना कम उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं
है। नए उत्तीर्ण प्रतिशत से अधिक संख्या में अभ्यर्थियों का उत्तीर्ण होना
तय माना जा रहा है, जिससे भर्ती के लिए अंकों की मेरिट बनना तय है। साथ ही
शिक्षामित्रों को वेटेज अंक व आयु सीमा में छूट भी मिलेगी। इससे मुकाबला अब
कड़ा हो गया है।
उधर, विभागीय अफसरों का कहना है कि पाठ्यक्रम वेबसाइट पर अपलोड है, कुछ
अभ्यर्थी दुष्प्रचार कर रहे हैं, जबकि सरकार अभ्यर्थियों की सारी मांगे मान
रही है।
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