68,500 बेसिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में रविवार को परीक्षार्थियों को
दोहरी मुसीबत का सामना करना पड़ा। उनकी मानें तो शिक्षक भर्ती का पेपर काफी
कठिन था और परीक्षा में बहुविकल्पीय सवाल भी नहीं पूछे गए। अभ्यर्थियों को
सवालों के उत्तर लिखने थे। इस वजह से उनकी मुसीबत और बढ़ गई।
बार-बार बदलते नियमों और हाईकोर्ट के फेर में पड़ी शिक्षक भर्ती परीक्षा
रविवार को आखिरकार आयोजित हुई। परीक्षार्थियों के लिए परीक्षा राहत देने
वाली नहीं रही। ज्यादातर परीक्षार्थियों ने परीक्षा को बेहद कठिन बताया।
उनके अनुसार सभी परीक्षार्थी टीईटी पास थे, इसके बावजूद उन्हें प्रश्नपत्र
बेहद कठिन लगे। शिक्षक भर्ती परीक्षा में राजधानी के 24 केंद्रों पर
परीक्षा के लिए 11 हजार 545 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। इनमें से 86 फीसदी
यानी 9947 उपस्थित रहे। परीक्षा सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे के बीच हुई।
रोल नंबर भरने में हुई परेशानी
परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों ने रोल नंबर भरने में परेशानी होने की बात
कही। उनके अनुसार रोल नंबर 13 अंकों का था। जबकि शीट पर केवल 10 खाने ही
थे। ऐसे में रोल नंबर लिखने में परेशानी हुई। कक्ष निरीक्षकों के पास भी
इसका कोई जवाब नहीं था। परीक्षार्थियों ने अतिरिक्त खाने बनाकर रोल नंबर
लिखा।
तो पद रहेंगे खाली...
परीक्षा में पास होने के लिए सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को
33 फीसदी और अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों को पास होने के लिए
30 फीसदी अंक लाने हैं। प्रदेश भर में करीब एक लाख 20 हजार परीक्षार्थी
पंजीकृत थे। पेपर के स्तर को देखते हुए कहा जा रहा है कि इसमें पास होना ही
मुश्किल है। इस लिहाज से पूरे पद भरना संभव नहीं दिख रहा।
शिक्षामित्रों को छांटने के लिए बनाया कठिन पेपर
परीक्षा देने आए परीक्षार्थियों ने पेपर के पैटर्न तथा कठिन होने पर आक्रोश
जताया। उनका कहना था कि सरकार ने केवल शिक्षामित्रों को छांटने के लिए इस
तरह का प्रश्नपत्र बनाया। आमतौर पर प्रतियोगी परीक्षा में बहुविकल्पीय सवाल
पूछे जाते हैं। इसके बावजूद शिक्षक भर्ती में लिखित परीक्षा ली गई। टीईटी
का रिजल्ट 13-14 फीसदी रहता है। यह पेपर तो उससे भी कठिन था। इस लिहाज से
30 फीसदी अंक लाना भी चुनौती होगी।
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