जासं, मीरजापुर: बड़े पैमाने पर परिषदीय शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों
से परिषदीय विद्यालयों के सत्र संचालन में बाधा आ सकती है या फिर हमेशा की
तरह शिक्षामित्रों पर ही भरोसा करना होगा। जिले के कई सुदूरवर्ती इलाकों
में पहले से ही परिषदीय विद्यालय शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे हैं।
जिले में 1611 प्राथमिक व 599 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं।
जिनमें तकरीबन पांच से छह हजार शिक्षक तैनात हैं। इसके अतिरिक्त 2422
शिक्षामित्र भी शिक्षण कार्य कर रहे हैं जबकि बच्चों की संख्या तकरीबन ढाई
लाख है। यदि शिक्षामित्रों को जोड़ दिया जाए तो छात्र- शिक्षक अनुपात आदर्श
अनुपात बनता है लेकिन इसमें एक कमी यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर
शिक्षामित्रों पर भरोसा किया जा रहा है जबकि नगर क्षेत्र में बिना
छात्र-शिक्षक अनुपात का ध्यान किए शिक्षकों को तैनात कर दिया जा रहा है।
कई-कई विद्यालयों में तो दस से 15 शिक्षक तक की तैनाती हो गई है। जबकि
छात्र संख्या लगभग डेढ़ सौ के आस-पास होगी। यदि पूरे जिले में छात्र संख्या
के हिसाब से शिक्षकों की तैनाती की जाए तो बच्चों को भी सुविधा होगी और
शिक्षकों को भी लेकिन घर के आस-पास विद्यालय ढूंढने के विकल्प ने इस सुविधा
की अनदेखी कर दी है। हलिया, पटेहरा व जमालपुर जैसे विकास खंड में तो
शिक्षक जाना भी नहीं चाहते और जो जाता है उसका प्रयास होता है कि वह सड़क के
आस-पास के विद्यालय पर तैनात हो जाए। अभी तक एक दर्जन ने ज्वाइन किया
अंतरजनपदीय तबादलों के चलते बाहरी जिले से मीरजापुर में अब तक एक दर्जन
शिक्षक आ चुके हैं। विभाग का कहना है कि जो शिक्षक गए हैं उनसे अधिक
प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि बाहर से शिक्षक इस जिले में भी तो आ रहे हैं। यह
प्रक्रिया पूरी हो जाए तो पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।
यह शासन का निर्देश है जो कि प्रक्रिया में है। यहां से शिक्षक गए हैं
तो दूसरी जगहों से यहां पर आएंगे भी। इसलिए यह कहना कि कोई असर पड़ेगा उचित
नहीं लगता। वैसे भी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
- प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए, मीरजापुर।
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