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बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की किताबों के क्यूआर कोड पाठ्यक्रम में अंतर, शिक्षक असमंजस में

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अपर मुख्य सचिव की सख्ती का असर दिखने लगा है। तमाम विद्यालयों में कक्षा तीन तक की किताबें पहुंच चुकी हैं। इस बार किताबों के हर पाठ पर क्यूआर कोड शिक्षकों के लिए कौतूहल का विषय बना है, क्योंकि पाठ में लिखी सामग्री और एप पर उस पाठ की सामग्री में भिन्नता है।
शिक्षक असमंजस में हैं कि आखिर इसमें से वह किस बात को पढ़ाए।

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की किताबों में इस बार पाठ्यक्रम में बदलाव हुआ है। बच्चों की रुचियों को ध्यान में रखकर चित्र व गीत तैयार कराए गए हैं, वह किताबों में प्रिंट हैं, ताकि इसी के जरिए पढ़ाई हो सके। इस बार हर पाठ पर क्यूआर कोड दर्ज है, उसे स्मार्ट फोन के जरिये स्कैन करने पर उसमें पूरे पाठ की सामग्री गीत आदि के जरिए दिखने लगती है। महकमे के लिए इस कोड को स्कैन करने के लिए दीक्षा एप भी लांच किया है, जिसे शिक्षक अपने मोबाइल में डाउनलोड कर रहे हैं। कक्षा एक की वर्णमाला के पाठ छह में ‘अ’ से अनार के दाने लाल-लाल, ‘आ’ से आम खाते मिट्ठू मियां लिखा है, जबकि कोड स्कैन वाले शिक्षक बताते हैं कि उसमें ‘अ’ से अच्छे हैं सारे बच्चे, ‘आ’ से आम से मीठे सच्चे आ रहा है। इसी किताब के सैरसपाटा अध्याय की सामग्री में गेंद, छाता व डिब्बा के जरिए गिनतियों को बोध कराया जा रहा है, जबकि एप में आम, सेब, अंगूर व तरबूज के जरिए दृढ़ निश्चयी होने का संदेश दिया जा रहा है।

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