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पूरे देश के लिए मिसाल बन गई यूपी की 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा

यूपी की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2018 पूरे देश में शिक्षक भर्ती के लिए मिसाल है। यह पहला मौका है जबकि प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों को इतनी कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है।
कक्षा एक से पांच तक के स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए इतनी कठिन प्रक्रिया केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन से लेकर किसी भी राज्य में नहीं अपनाई जा रही जितनी यूपी में हो गई है।
शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के मानक से भी एक कदम आगे चली गई है। एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर प्रशिक्षण (बीटीसी, बीएड आदि प्रशिक्षण) के साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा को अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद यूपी में 27 जुलाई 2011 को नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ और 7 सितंबर 2011 को टीईटी की अधिसूचना जारी हुई थी।

उसके बाद से प्राथमिक स्कूलों में प्रशिक्षण के साथ टीईटी/सीटीईटी पास अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति दी गई। हालांकि टीईटी मेरिट, शैक्षणिक गुणांक और बगैर टीईटी शिक्षक भर्ती को लेकर मुकदमेबाजी होती रही जिसका निस्तारण सुप्रीम कोर्ट में 25 जुलाई 2017 को किया। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 20 नवंबर 2017 को अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में 20वां संशोधन करते हुए प्रशिक्षण, टीईटी/सीटीईटी के साथ ही लिखित परीक्षा को भी अनिवार्य कर दिया। संशोधन के अनुसार भर्ती के लिए जो मेरिट बनेगी उसमें लिखित परीक्षा के अंकों का 60 प्रतिशत और 10वीं, 12वीं, स्नातक व प्रशिक्षण का 10-10 प्रतिशत जोड़ा जाएगा। इस प्रकार 100 प्रतिशत पर मेरिट बनेगी। इतने स्तर पर स्क्रीनिंग के बाद फर्जीवाड़े की आशंका न के बराबर बचेगी।

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