छात्रों की संख्या को दरकिनार कर जुगाड़ से तैनात शिक्षकों को अब मनचाहे
स्कूलों का मोह छोड़ना होगा। दरअसल, बड़ी संख्या में प्राइमरी और जूनियर
हाईस्कूलों में अतिरिक्त अध्यापकों की तैनाती हो गई है, जबकि तमाम ऐसे
स्कूल हैं, शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
इस असंतुलन को खत्म करने के लिए
समायोजन की प्रक्रिया शुरू की गई है। बीएसए ने ऐसे शिक्षकों की 24 अगस्त को
डायट में काउंसलिंग की तारीख भी तय कर ली है।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या के आधार पर शिक्षकों के पद स्वीकृत
हैं, जबकि तमाम स्कूलों में इस अनुपात से ज्यादा शिक्षक तैनात हैं। इसमें
ज्यादातर वे स्कूल हैं जो जिला या ब्लॉक मुख्यालय के आसपास हैं। शिक्षकों
ने जुगाड़ से इनमें तैनाती पा ली है, लेकिन गांव के दूर-दराज के इलाकों में
शिक्षकों के काफी पद रिक्त हैं। कई जगहों पर तो अकेले शिक्षामित्र ही
स्कूल चला रहे हैं। बीएसए इस संबंध में जारी आदेश में बताया है कि ऐसे
सरप्लस शिक्षकों से उनके तैनाती वाले ब्लॉकों के दूसरे स्कूल के विकल्प
भरवाए जाएंगे। इसमें असाध्य और गंभीर बीमारी से पीड़ित शिक्षकों को
काउंसलिंग के दौरान सीएमओ से जारी सर्टिफिकेट लाना होगा। काउंसलिंग के
दौरान जो भी शिक्षक मौजूद नहीं होगा, विभाग उसका किसी भी विद्यालय में
समायोजन कर देगा।
शिक्षकों की नियुक्ति में संशोधन की फाइल डीएम दफ्तर में लटकी
अंतरजनपदीय स्थानांतरित होकर आए करीब दो सौ शिक्षकों ने विभाग से आवंटित
स्कूलों की बजाय पसंदीदा विद्यालयों में तैनाती की मांग की थी। डीएम के
आदेश पर बीएसए तनुजा त्रिपाठी ने शिक्षकों की आपत्ति का लिखित ब्योरा दर्ज
कर इसकी रिपोर्ट भेज दी थी, लेकिन डीएम स्तर से इस पर अंतिम फैसला नहीं
लिया गया है। इससे यह प्रक्रिया भी अटकी हुई है।