इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को उच्चतर
शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट से करारा झटका मिला है।
हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती की काउंसलिंग पर रोक लगाने के आदेश को रद्द कर
दिया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब एक बार फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकेगी और नौकरी की उम्मीद लगाए अभ्यर्थियों को नए साल में तोहफा मिल सकता है। गौरतलब है कि 2016 में शुरू हुई उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक भर्ती की चयन प्रक्रिया इन दिनों अंतिम दौर में चल रही थी। बीते 17 अक्तूबर 2018 को योगी सरकार ने मौजूदा काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला
2016
में शुरू हुई उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक भर्ती पर योगी सरकार
ने सत्ता में आते ही रोक लगा दी थी। बाद में इस भर्ती को हरी झंडी दी गई,
भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई और लगभग 1300 शिक्षकों के चयन के बाद अचानक
सहयोगी सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित कर काउंसिलिंग
करने का निर्णय लिया और भर्ती प्रक्रिया में चल रही काउंसलिंग पर रोक लगा
दी। सरकार की मंशा के अनुरूप अब नए सॉफ्टवेयर के अनुसार काउंसलिंग फिर से
की जानी थी, जिसे अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने विनय कुमार सिंह ने शुरू की तो याचियों की ओर से दलील दी गई कि बगैर किसी नियमावली संशोधन के नई प्रक्रिया थोपी जा रही है। जबकि 1300 से अधिक शिक्षकों का पुरानी प्रक्रिया से ही चयन कर लिया गया है। ऐसे में सरकार का नया आदेश सही नहीं है। हाईकोर्ट ने याचियों की दलील के सापेक्ष योगी सरकार के फैसले को अमान्य करार कर दिया और कहा कि आयोग पद विज्ञापन के नियम के तहत काउंसिलिंग कर चयन प्रक्रिया पूरी करे।
सरकार नहीं कर सकती बदलाव
कोर्ट ने कहा है कि आयोग को जारी प्रक्रिया के अनुसार काउंसिलिंग करने का अधिकार है। सरकार उसमें बदलाव नहीं कर सकती। यदि सरकार नए सॉफ्टवेयर से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना चाहती है तो उसे नियमों में संशोधन करना चाहिए। ऐसा संशोधन लागू होने की तिथि से ही मान्य होगा। फिलहाल अब सरकार या तो इस भर्ती को पुरानी प्रक्रिया से ही पूरे होने देगी अथवा नियमावली में संशोधन कर पूर्व की तिथि से ही संशोधन को लागू करेगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब एक बार फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकेगी और नौकरी की उम्मीद लगाए अभ्यर्थियों को नए साल में तोहफा मिल सकता है। गौरतलब है कि 2016 में शुरू हुई उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक भर्ती की चयन प्रक्रिया इन दिनों अंतिम दौर में चल रही थी। बीते 17 अक्तूबर 2018 को योगी सरकार ने मौजूदा काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला
हाईकोर्ट ने क्या कहा
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने विनय कुमार सिंह ने शुरू की तो याचियों की ओर से दलील दी गई कि बगैर किसी नियमावली संशोधन के नई प्रक्रिया थोपी जा रही है। जबकि 1300 से अधिक शिक्षकों का पुरानी प्रक्रिया से ही चयन कर लिया गया है। ऐसे में सरकार का नया आदेश सही नहीं है। हाईकोर्ट ने याचियों की दलील के सापेक्ष योगी सरकार के फैसले को अमान्य करार कर दिया और कहा कि आयोग पद विज्ञापन के नियम के तहत काउंसिलिंग कर चयन प्रक्रिया पूरी करे।
सरकार नहीं कर सकती बदलाव
कोर्ट ने कहा है कि आयोग को जारी प्रक्रिया के अनुसार काउंसिलिंग करने का अधिकार है। सरकार उसमें बदलाव नहीं कर सकती। यदि सरकार नए सॉफ्टवेयर से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना चाहती है तो उसे नियमों में संशोधन करना चाहिए। ऐसा संशोधन लागू होने की तिथि से ही मान्य होगा। फिलहाल अब सरकार या तो इस भर्ती को पुरानी प्रक्रिया से ही पूरे होने देगी अथवा नियमावली में संशोधन कर पूर्व की तिथि से ही संशोधन को लागू करेगी।