विवादों के चक्रव्यूह में फंसी एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती, लाखों अभ्यर्थियों पर विपरीत प्रभाव

प्रयागराज, जेएनएन। राजकीय माध्यमिक स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती परीक्षा के किसी विषय का परिणाम अभी नहीं आया है, इससे पहले ही भर्ती विवादों के चक्रव्यूह में फंस गई है।
10768 पदों के लिए एलटी ग्रेड शिक्षकों के चयन की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ने उप्र लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) को सौंपकर 2018 में ही चयनितों को नियुक्ति देने की तैयारी भी कर ली थी लेकिन, शुरुआती विवादों से ही इसका पीछा नहीं छूट सका है। इससे प्रदेश के लाखों अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे हैं।
यूपीपीएससी परीक्षाएं हो रहीं विवादित  
यूपीपीएससी की इससे पहले भी हो चुकी अन्य परीक्षाएं विवादित रही हैं। लेकिन, अधिकांश परीक्षाओं में प्रश्नों व उनके उत्तर विकल्प के गलत होने को लेकर सवाल उठे। विवादों की शुरुआत भी उत्तरकुंजी जारी होने पर हुई। परिणाम में भी पक्षपात के गंभीर आरोप लगे। लेकिन, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में न उत्तर कुंजी जारी होनी है और न ही साक्षात्कार होने हैं, परीक्षा ओएमआर शीट पर कराई गई। इसके बावजूद भर्ती प्रक्रिया विवादों के भंवर में फंस गई है। कला, कंप्यूटर, जीव विज्ञान आदि विषयों के लिए अर्हता का विवाद तो भर्ती का विज्ञापन जारी होने के साथ ही शुरू हो गया था, जिसका निपटारा पांच माह में नहीं हो सका।

यूपीपीएससी में रहते अनिर्णय के हालात
परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र में गड़बड़ी, केंद्रों में अनुक्रमांकवार सीटों के आवंटन में गड़बड़ी और दो विषयों से आवेदन करने वालों को केवल एक ही विषय की लिखित परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलने का विवाद भी अभी नहीं सुलझ सका है। परीक्षा प्रक्रिया पर उठे सवालों के चलते यूपीपीएससी यह नहीं तय कर पा रहा है कि परिणाम कब और कैसे जारी करें, क्योंकि उन अभ्यर्थियों के संबंध में भी अब तक निर्णय नहीं हो सका है जिन्हें हाईकोर्ट के निर्देश पर परीक्षा में औपबंधिक रूप से शामिल किया गया था। विवादों की इस श्रंखला के चलते उन लाखों अभ्यर्थियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिनका इन विवादों से कोई नाता नहीं है।

परीक्षा करा ली, नहीं जांची अर्हता

यूपीपीएससी ने शिक्षक भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करने से लेकर प्रवेश पत्र वितरित करने और परीक्षा में अभ्यर्थियों को शामिल करने तक कहीं भी अर्हता की जांच नहीं की। अर्हता के फंसे पेच में इसे भी प्रमुख कारण माना जा रहा है।